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रील बनाने वाले अहमियत और अपनी सुरक्षा को नज़र अंदाज़ न करे – खुशबू कर्ण

सोशल मीडिया पर रील बनाकर अपलोड कर हम अपना प्रचार ही नही अपने क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण स्थानों, मंदिरों सहित अपनी कला को स्थापित व मशहूर कर सकते हैं।

अनुज श्रीवास्तव/रंजीत सिन्हा
बिहार/पटना। दिल्ली में रह रही मधुबनी के शिबीपट्टी की रहने वाली खुशबू कर्ण ने बताया कि आज प्रचार के इस महत्त्वपूर्ण भूमिका को लेकर कुछ लोग जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं, जो उचित नहीं है। चलती ट्रेन, बाइक, रेल लाइन, नदी, समुद्र में जाकर रील बनाना खतरों का घर बनता जा रहा है। सरकार को भी इस संबंध में कठोर से कठोर कानून बनाना चाहिए। परन्तु कानून का पालन हो, यह जिम्मेदारी रील बनाने वाले के ऊपर ही निर्भर रहता ह

खुशबू के अनुसार रील के माध्यम से हम जहां भूल रहे अपने सभ्यता-संस्कृति को जेहन में ले आते हैं,वहीं हम अपने अगल बगल के प्राचीन काल के मंदिरों, स्कूल एवं अन्य चीजों को पूरे विश्व मे पुनः स्थापित कर पाते हैं। सोशल मिडिया के सभी अंगों में सबसे अधिक लोकप्रियता आज रील के माध्यम से ही हम सबों को मिलती है। यही कारण है कि रील के माध्यम से सोशल मीडिया पर कई गुमनाम कलाकारों को जो इज्जत और हौसला आफजाई मिला है वह दुनिया के सामने है।
खुशबू कर्ण ने बताया कि हम आज सोशल मीडिया के युग मे प्रवेश कर चुके हैं जिसमे रील सबसे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। हम सबको बस गुण दोष के आधार पर अपनी बाते रील के माध्यम से रखना चाहिए। साथ ही इसका भी ख्याल रहे की रील को लोकप्रिय बनाने में आज कम उम्र के युवा पीढ़ी की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।

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