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साहिब बंदगी के संत सद्गुरु मधुपरमहंस जी महाराज ने राँजड़ी में प्रवचन कर समझाया शरीर और आत्मा का रहस्य

सबका जम्मू कश्मीर।

जम्मू। साहिब बंदगी आश्रम के संत सद्गुरु श्री मधुपरमहंस जी महाराज ने रविवार को राँजड़ी में संगत को प्रवचनों की अमृत वर्षा से निहाल किया।

उन्होंने कहा कि यह शरीर बहुत चालाकी से बनाया गया है और जैसे-जैसे उम्र बढ़ती जाती है, इसकी शक्ति और क्षमता घटती जाती है।

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संत जी ने कहा कि काम, क्रोध और अन्य विकार सभी जीवों में हैं। आत्मा इन मायावी तत्वों में उलझी हुई है। पाँच तत्वों से बने इस शरीर को हम मनुष्य मानते हैं,

जबकि आत्मा का असली स्वरूप इससे अलग और अमर है। उन्होंने समझाया कि नींद, भूख, प्यास, गुस्सा जैसी सभी क्रियाएँ शरीर और उसके तत्वों की देन हैं, आत्मा की नहीं।

उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि सपने की तरह यह शरीर भी अस्थायी है।

वैज्ञानिक भी मानते हैं कि कोषिकाएँ ही हमें रंग और अनुभव कराती हैं, पर यह सब माया है। आत्मा अपने शुद्ध स्वरूप को भूलकर विभिन्न अवस्थाओं—जाग्रत, सुषुप्ति और चेतन में भटकती रहती है।

सद्गुरु ने कहा कि सबसे उच्च अवस्था ‘विज्ञान देही’ कहलाती है, जो केवल योगेश्वरों को प्राप्त होती है।

साहिब बंदगी के संत सद्गुरु मधुपरमहंस जी महाराज ने राँजड़ी में प्रवचन कर समझाया शरीर और आत्मा का रहस्य

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परंतु आत्मा का वास्तविक और शुद्ध स्वरूप केवल अमर लोक में पहुँचकर ही मिलता है, और यह मार्ग संत सद्गुरु के सच्चे नाम के माध्यम से ही संभव है।

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