अनुज श्रीवास्तव/रंजीत सिन्हा
बिहार/पटना। संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार और कला संस्कृति एवं युवा विभाग बिहार सरकार के सहयोग से प्रस्तुति पटना द्वारा स्थानीय प्रेमचंद रंगशाला में पांच दिवसीय प्रस्तुति उत्सव 2024 के तीसरे दिन ज्योति डोगरा (मुंबई) द्वारा लिखित, निर्देशित व अभिनीत नाटक ‘मास” का मंचन किया गया।
बाह्य परिसर में पूर्व-रंग के तहत रंग-चर्चा, देसिल बयना मंच पर रंग-संगीत व नुक्कड़ मंच पर नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति की गई। रंग -चर्चा के अंतर्गत रंगमंच में महिलाओं की भूमिका पर विभिन्न वक्ताओं ने अपने विचार व्यक्त किए। नुक्कड़ मंच पर आशा रेपर्टरी द्वारा मो.जहांगीर द्वारा लिखित व निर्देशित नुक्कड़ नाटक ‘ओक्का-बोकका’ का प्रदर्शन किया गया। देसिल बयना मंच पर गायिका पापिया गाँगुली के लोक गायन का दर्शकों ने भरपूर आनंद लिया। पपिया गांगुली ने गणेश वंदना से शुरुआत की। इसके बाद मंगल तेरो नाम, रेलिया बैरन पिया को लिए जाए रे, अमवा महुआ के झूमे डालिया तनी ताकन बलमुआ हमरी ओरिया, उंगली में डसले विया नगिनिया हे,
हे ननदी अब हम कैसे चली डगरिया लोगवा नजर लगावेला आदि गीत गाया। सिंथेसाइजर सनी कुमार, नाल पर सागर सोनी, पैड पर निशान कुमार नंदन आदि ने पापिया का साथ दिया।
मुंबई से आई ज्योति डोगरा ने मंच पर नारी की आत्मा और शरीर के बीच चल रहे द्वंद्व को अपने अभिनय से साकार किया। नारी के मन में अपने शरीर को लेकर कभी -कभी कुंठा होना स्वाभाविक है। यदि अपने शरीर को लेकर असंतोष या हीन-भावना है तो इसे त्याग देना चाहिए। ज्योति डोगरा ने इस प्रस्तुति के माध्यम से यह संदेश दिया है कि अपने शरीर को लेकर कुंठित होने के बजाय पूरी लगन और अनुशासन के साथ शरीर पर काम करना चाहिए।इस क्रम में आंशिक रूप से थोड़ी हिंसा की भी संभावना है लेकिन इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि यह हिंसा आश्चर्यजनक रूप से सुखद और मज़ेदार ही होगी। ज्योति डोगरा द्वारा ‘बॉडी’, ’व्याॉस’ और टेक्स्ट के द्वारा रंगभाषा रची जाती है जिसका प्रदर्शन देश ही नहीं बल्कि टोक्यो, न्यूयॉर्क, लंदन, वियना हांगकांग आदि शहरों में भी किया जा चुका है।