अनुज श्रीवास्तव/अवनीश
गाजीपुर/उत्तर प्रदेश वैसे तो जिले में शिक्षा विभाग के कारनामे किसी से छुपे नहीं हैं। कहीं बीआरसी पर आधार कार्ड बनाने में वसूली,तो कहीं विद्यालयों पर मिड डे मील योजना में खेल,कहीं अध्यापकों को विद्यालय न आने की छूट,तो कहीं विद्यालयों में बच्चों की संख्या को लेकर उठ रहे सवाल शिक्षा विभाग के कारनामों को उजागर करने के लिए काफी है। इन सबके बीच जिले में एक ऐसे भी शख्स हैं जिन्होंने शिक्षा विभाग में एक आदर्श स्थापित कर दिखाया है। जी हां हम बात कर रहे हैं गाजीपुर जिले के खंड शिक्षा अधिकारी मरदह राजीव कुमार यादव की।जिनके बारे में सुना गया था और जिले में खूब चर्चा भी थी उनसे मिलने की हार्दिक इच्छा भी थी।इसी क्रम में उनसे मुलाकात हुई।बीआरसी मरदह को देखकर यह लगा जैसे किसी शिक्षा के मंदिर पर वास्तव में आया गया हो।वहां पहुंचने के बाद ऐसा महसूस हुआ कि यह विद्यालय नहीं बल्कि कोई एक दर्शन करने लायक मंदिर है।जब इस बारे में खंड शिक्षा अधिकारी मरदह से बात की गई तो उन्होंने कहा की बस मेरा एक ही उद्देश्य है कि जिस उद्देश्य के लिए हमारी यहां नियुक्ति हुई है उस उद्देश्य को पुरा करने में असफल न रहे।हम उस उद्देश्य को पूरा करने का पूरा प्रयास करते हैं।जब उनसे पूछा गया कि आप कैसे अपनी शिक्षा संबंधी योजनाओं पर सफलता पाते हैं।तो उन्होंने बताया कि मैं अपने आफिस में प्रतिदिन का एक चार्ट लगाता हूं कि मुझे आज यह कार्य पूरा कर लेना है और यही मेरी सफलता का मूल मंत्र है।जो मानक मै बनाता हूं उस मानक को उतने समय में पूरा कर लेता हूं जितने समय में निर्धारित किया गया है। गाजीपुर जिले में आने से पहले यह जौनपुर में भी खंड शिक्षा अधिकारी रहे हैं।जहां जौनपुर जिले के जिलाधिकारी ने इन्हें करोना काल में नोडल अधिकारी के रूप में जिम्मेदारी सौंपी थी।उस कार्य में भी उन्होंने अपनी बखूबी जिम्मेदारी निभाई उसके बाद उन्हें वहां सम्मानित भी किया गया था।एक समय था जब मरदह बीआरसी को बड़ा ही हेय दृष्टि से देखा जाता था लेकिन राजीव कुमार यादव खंड शिक्षा अधिकारी मरदह की आने के बाद शिक्षा निदेशालय के निदेशक द्वारा खंड शिक्षा अधिकारी राजीव कुमार यादव को पूरे प्रदेश में कार्य करने के लिए प्रथम स्थान दिया गया था। मतलब की बीआरसी मरदह को एक शख्स ने फर्श से अर्श पर पहुंचा दिया है।अब बीआरसी मरदह का नाम आने पर लोग एक इज्जत भरी निगाह से देखते हैं।बीआरसी पर बच्चे जिनकी संख्या लगभग 350 से 400 के करीब थी,शिक्षण कार्य कर रहे थे।पूरा बीआरसी ही बहुत अनुशासित दिखा।
गाजीपुर/उत्तर प्रदेश वैसे तो जिले में शिक्षा विभाग के कारनामे किसी से छुपे नहीं हैं। कहीं बीआरसी पर आधार कार्ड बनाने में वसूली,तो कहीं विद्यालयों पर मिड डे मील योजना में खेल,कहीं अध्यापकों को विद्यालय न आने की छूट,तो कहीं विद्यालयों में बच्चों की संख्या को लेकर उठ रहे सवाल शिक्षा विभाग के कारनामों को उजागर करने के लिए काफी है। इन सबके बीच जिले में एक ऐसे भी शख्स हैं जिन्होंने शिक्षा विभाग में एक आदर्श स्थापित कर दिखाया है। जी हां हम बात कर रहे हैं गाजीपुर जिले के खंड शिक्षा अधिकारी मरदह राजीव कुमार यादव की।जिनके बारे में सुना गया था और जिले में खूब चर्चा भी थी उनसे मिलने की हार्दिक इच्छा भी थी।इसी क्रम में उनसे मुलाकात हुई।बीआरसी मरदह को देखकर यह लगा जैसे किसी शिक्षा के मंदिर पर वास्तव में आया गया हो।वहां पहुंचने के बाद ऐसा महसूस हुआ कि यह विद्यालय नहीं बल्कि कोई एक दर्शन करने लायक मंदिर है।जब इस बारे में खंड शिक्षा अधिकारी मरदह से बात की गई तो उन्होंने कहा की बस मेरा एक ही उद्देश्य है कि जिस उद्देश्य के लिए हमारी यहां नियुक्ति हुई है उस उद्देश्य को पुरा करने में असफल न रहे।हम उस उद्देश्य को पूरा करने का पूरा प्रयास करते हैं।जब उनसे पूछा गया कि आप कैसे अपनी शिक्षा संबंधी योजनाओं पर सफलता पाते हैं।तो उन्होंने बताया कि मैं अपने आफिस में प्रतिदिन का एक चार्ट लगाता हूं कि मुझे आज यह कार्य पूरा कर लेना है और यही मेरी सफलता का मूल मंत्र है।जो मानक मै बनाता हूं उस मानक को उतने समय में पूरा कर लेता हूं जितने समय में निर्धारित किया गया है। गाजीपुर जिले में आने से पहले यह जौनपुर में भी खंड शिक्षा अधिकारी रहे हैं।जहां जौनपुर जिले के जिलाधिकारी ने इन्हें करोना काल में नोडल अधिकारी के रूप में जिम्मेदारी सौंपी थी।उस कार्य में भी उन्होंने अपनी बखूबी जिम्मेदारी निभाई उसके बाद उन्हें वहां सम्मानित भी किया गया था।एक समय था जब मरदह बीआरसी को बड़ा ही हेय दृष्टि से देखा जाता था लेकिन राजीव कुमार यादव खंड शिक्षा अधिकारी मरदह की आने के बाद शिक्षा निदेशालय के निदेशक द्वारा खंड शिक्षा अधिकारी राजीव कुमार यादव को पूरे प्रदेश में कार्य करने के लिए प्रथम स्थान दिया गया था। मतलब की बीआरसी मरदह को एक शख्स ने फर्श से अर्श पर पहुंचा दिया है।अब बीआरसी मरदह का नाम आने पर लोग एक इज्जत भरी निगाह से देखते हैं।बीआरसी पर बच्चे जिनकी संख्या लगभग 350 से 400 के करीब थी,शिक्षण कार्य कर रहे थे।पूरा बीआरसी ही बहुत अनुशासित दिखा।
एक कहावत कही जाती है कि ‘जहां चाह वहां राह’ तो इस शख्स ने इस कहावत को एकदम चरितार्थ करके रख दिया है। उनकी बातों में एक सकारात्मक विचार झलक रहे थे कहीं नकारात्मक विचार की बू तक नहीं आ रही थी।आज पूरे उत्तर प्रदेश में मरदह बीआरसी प्रथम स्थान पर है।बीआरसी पर कंप्यूटर की भी सुविधा पाई गई। बीआरसी कार्यालय भी गजब का बना है वैसा कार्यालय तो देखने को कम ही मिलते हैं।