ईद-उल-अजहा: बलिदान, भक्ति और बंधुत्व का पर्व 7 जून 2025 | विशेष आस्था स्तंभ

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ईद-उल-अजहा, जिसे आमतौर पर बकरीद के नाम से जाना जाता है, इस्लामी समुदाय का एक प्रमुख पर्व है, जो इस वर्ष 7 जून 2025 को पूरे भारत में श्रद्धा, सौहार्द और परोपकार के साथ मनाया जा रहा है। यह त्योहार पैग़म्बर हज़रत इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) की अलौकिक आस्था और अल्लाह के प्रति उनकी पूर्ण समर्पण भावना की स्मृति में मनाया जाता है।
इस दिन मुसलमान नमाज़-ए-ईद अदा करते हैं और फिर परंपरानुसार कुरबानी करते हैं, जो त्याग और अल्लाह की राह में सब कुछ समर्पित करने की भावना का प्रतीक है। यह बलिदान केवल पशु का नहीं, बल्कि अपने भीतर के अहंकार, स्वार्थ और लालच का होता है।
ईद के इस मौके पर समाज में जरूरतमंदों के लिए विशेष ध्यान रखा जाता है। कुरबानी के मांस का एक तिहाई हिस्सा गरीबों को बांटा जाता है, जिससे यह पर्व सामाजिक समरसता और सेवा का संदेश भी देता है।
मस्जिदों में नमाज़ के लिए विशेष तैयारियाँ की गई हैं और प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं। स्थानीय बाजारों में भी रौनक दिखाई दे रही है।
“ईद सिर्फ त्योहार नहीं, यह आपसी भाईचारे और त्याग की भावना को जीवंत करने का दिन है।” – स्थानीय धर्मगुरु
आज का दिन हमें यह सिखाता है कि सच्ची भक्ति वह है जिसमें इंसान अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित हो और समाज में प्रेम, दया और भाईचारा फैलाए।