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नक़ली किताबों का धड़ल्ले से बिना रोकटोक व्यापार, बच्चों का भविष्य अंधकारमय

अनुज श्रीवास्तव/रंजीत सिन्हा
बिहार/पटना : राज्य के बाहर से एक निजी प्रकाशक का प्रतिनिधित्व करने वाली टीम ने पटना में कई स्थानों पर छापेमारी की। विशाल गोदाम और प्रेस में नकली किताबें बनाने के लिए उपकरण पाए गए। यहां बिना किसी डर के अवैध गतिविधियां चल रही थीं। गोदामों, प्रेसों और बाइंडिंग इकाइयों में विशाल बुनियादी ढांचा और आधुनिक मशीनरी थी। उन्हें बहुत बड़ी संख्या में एनसीईआरटी की किताबों के साथ-साथ भारती भवन (पीएंडडी) की नकली किताबें छापते हुए पाया गया। इनके अलावा, रेड में कुछ अन्य प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित किताबें भी पाई गईं।

एनसीईआरटी का प्रतिनिधित्व कोई नहीं कर रहा था। यह आम जानकारी है कि सरकारी एजेंसी द्वारा कोई कार्रवाई किए बिना बाजार में बहुत सारी नकली एनसीईआरटी किताबें बेची जाती हैं। इससे सरकार को नुकसान होता है और साथ ही छात्रों और अभिभावकों को नकली किताबें देकर धोखा दिया जाता है। एजेंसी/सरकारी विभागों को नकली या पाइरेटेड किताबें बनाने और बेचने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। नकली प्रतियां बनाने से खजाने को भारी नुकसान हो रहा है, नौकरियों पर असर पड़ रहा है और छात्रों को उपलब्ध किताबों की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। यह एनसीईआरटी और प्रकाशकों के कॉपीराइट का उल्लंघन है, धोखाधड़ी, जालसाजी, ट्रेडमार्क अधिनियम के तहत अपराध आदि हैं। उल्लंघनकर्ता सादे कागज पर भी किताबें छापते हैं, जबकि एनसीईआरटी की असली किताबें विशेष वॉटरमार्क वाले कागज पर छपी होती हैं। उल्लंघनकर्ता या तो किताबों पर कोई सुरक्षा होलोग्राम या स्टिकर नहीं लगाते हैं या नकली स्टिकर चिपकाते हैं। ये कार्य भी गंभीर अपराध हैं। ये किताबें बेचने वाले विक्रेता पूरे बिहार में पाए जाते हैं। इन अवैध गतिविधियों में शामिल इकाइयां बाईपास रोड, आर. के. नगर और अन्य थानों के अंतर्गत स्थानों में पाई गईं।

हालांकि पुलिस के उच्च अधिकारी छापेमारी और कार्रवाई के निर्देश देते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर ये छापेमारी केवल कम समय के लिए प्रभावी होती हैं। इसका कारण यह है कि परिसर और मशीनरी को अपराध करने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले उपकरणों के रूप में बंद या जब्त नहीं किया जाता है। इसलिए इस अवैध कारोबार में शामिल लोग नकली, चोरी, ट्रेडमार्क उल्लंघन, धोखाधड़ी, जालसाजी और कॉपीराइट और आईपी के उल्लंघन के अपराध करते रहते हैं। सरकार द्वारा इन इकाइयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने तक, ये गैरकानूनी गतिविधियाँ बेरोकटोक जारी रहेंगी। इसमें संयंत्रों और मशीनरी को सील करना, कारावास, सरकारी एजेंसियों, विशेष रूप से एनसीईआरटी की ओर से मामला दर्ज करना, पुलिस के आर्थिक अपराध विंग द्वारा मामले को संज्ञान में लेना शामिल हो सकता है। जब तक ऐसा नहीं होता, राज्य और देश के बच्चों का भविष्य गंभीर खतरे में होगा।

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