अनुज श्रीवास्तव/रंजीत सिन्हा
बिहार/पटना। स्थानीय प्रेमचंद रंगशाला में संस्कृति मंत्रालय,भारत सरकार व कला संस्कृति एवं युवा विभाग, बिहार सरकार के सहयोग से प्रस्तुति पटना द्वारा आयोजित पांच दिवसीय राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव अकेली औरत का राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव “प्रस्तुति उत्सव”-24” का समापन हुआ।इस राष्ट्रीय नाट्य महोत्सव में दिल्ली, मंगलुरु, मुंबई से आई अभिनेत्रियों ने अपने एकल अभिनय से मंच को जीवंत रखा। इस महोत्सव के प्रथम सत्र में नुक्कड़ नाटक “एक और मोहरा” का प्रदर्शन किया गया। मृत्युंजय शर्मा द्वारा लिखित और निर्देशित इस नाटक को रंगमार्च के कलाकारों द्वारा बहुत ही प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया गया। नाटक में एक आम इंसान की इच्छाओं और महत्वाकांक्षाओं को समाज द्वारा दमन किए जाने के क्रम को दर्शाया गया। भ्रूण-हत्या से लेकर शहीद भगत सिंह के आदर्श को नाटक में पिरोकर दिखाया गया। ज्ञात हो कि नाट्य लेखन के क्षेत्र में बिहार सरकार द्वारा रामेश्वर सिंह कश्यप सम्मान से निर्देशक मृत्युंजय शर्मा को सम्मानित किया जा चुका है।
रंग-चर्चा के अंतर्गत सांस्कृतिक प्रबंधन के ऊपर रंग संवाद किया गया जिसमें बिहार के पूर्व मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण, राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय वाराणसी के प्रवीण कुमार गुंजन, स्थानीय रंग-प्रणेता सुमन सिन्हा ने अपने विचार व्यक्त किए। रंग संगीत के तहत देसिल बयना मंच पर चंदन तिवारी के लोक गायन ने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया। लोक गीतों की यह प्रस्तुति दर्शकों को अंत तक बांधने में सफल रही।महोत्सव के समापन- सत्र में मुख्य-मंच पर प्रेक्षागृह में दिल्ली से आई अभिनेत्री सविता रानी द्वारा अभिनीत, लिखित व निर्देशित नाटक -”नोशन्स बिटवीन यू एंड मी” का मंचन किया गया। नोशन्स यानी कि मन में बैठी धारणाएं, विश्वास जैसे लिंग, धर्म और जाति को लेकर सविता रानी द्वारा एक डिवाइज्ड सोलो परफ़ॉर्मेंस शहरवासियों के लिए एक नया अनुभव था। लिंग,जाति और धर्म के मुद्दे जनसामान्य की चर्चा में बने रहते हैं, इन्हें एक महिला के नजरिए से सविता रानी ने बहुत ही प्रभावी ढंग से अपने एकल अभिनय द्वारा प्रदर्शित किया। सविता रानी द्वारा निर्देशित व अभिनीत यह नाटक उन सारे मुद्दों को उठाता है जिसे आम आदमी व्यक्त नहीं कर पाता। लिंग, धर्म व जाति से जुड़े मुद्दों पर समाज में सतही तौर पर बात होती है लेकिन यह नाटक इन मुद्दों को बहुत ही मुखर तौर पर चर्चा के केंद्र में लाता है। बातें चुभती हैं पर बातें सही हैं। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय उत्तीर्ण सविता रानी लगातार अपने सोलो परफार्मेंस से इन मुद्दों को रंगमंच पर उठाती रही हैं। उनके अनुसार यह नाटक एक प्रोसेस का हिस्सा है, इस प्रोसेस में आगे की बातें आएंगी। ज्ञात हो कि इस महोत्सव में प्रतिदिन अभिनेत्रियों द्वारा नाटक के बाद दर्शकों से सीधा संवाद भी किया गया। इस अवसर पर वरिष्ठ रंग-निर्देशक संजय उपाध्याय,भाजपा कला- संस्कृति प्रकोष्ठ अध्यक्ष वरुण कुमार सिंह, प्रस्तुति पटना की सचिव शारदा सिंह सहित बड़ी संख्या में दर्शकों की उपस्थिति रही।