अनुज श्रीवास्तव/रंजीत सिन्हा
बिहार/पटना। “प्रदेश में दिव्यांग बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा पूरी प्रतिबद्धता से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।” उक्त बातें समाज कल्याण मंत्री मदन सहनी ने बाल अधिकार सप्ताह 2023 के तहत बिहार सरकार एवं यूनिसेफ द्वारा आयोजित संगोष्ठी में कहीं गई। इस कार्यक्रम का उद्देश्य दिव्यांगता और बाल अधिकारों के बीच के जटिल संबंधों पर विचार-विमर्श करने के लिए विशेषज्ञों, नीति निर्माताओं, हितधारकों और चिकित्सकों द्वारा सहयोगात्मक संवाद के माध्यम से चुनौतियों की पहचान कर, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना और विकलांग बच्चों के समावेशी भविष्य के लिए रणनीति विकसित करना रहा। उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि समाज कल्याण मंत्री के साथ-साथ प्रेम सिंह मीणा, सचिव, समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार, यूनिसेफ बिहार के प्रभारी प्रमुख शिवेंद्र पांडे, यूनिसेफ बिहार के वरिष्ठ सलाहकार, आर के महाजन तथा प्रसन्ना ऐश कार्यक्रम मॉनिटरिंग एवं इवैल्यूएशन विशेषज्ञ, यूनिसेफ बिहार, उपस्थित रहे।
अपने उद्घाटन भाषण में समाज कल्याण मंत्री ने कहा, “वर्तमान समय में सक्षम सरकारी नीतियों के साथ सामुदायिक स्तर पर सकारात्मक व्यवहार परिवर्तन के कारण दिव्यांग व्यक्तियों के प्रति समाज की धारणा और स्वीकार्यता में काफ़ी सुधार हुआ है।” उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि बिहार सरकार द्वारा योजनाओं की सार्वभौमिक कवरेज सुनिश्चित करने के साथ-साथ दिव्यांग व्यक्तियों के लिए योजनाओं को समान रूप से सुलभ बनाने हेतु ‘विकलांगता के सत्यापन’ की चुनौती की दिशा में भी काम किया जा रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि सामान्य लड़के- लड़कियों समेत दिव्यांग बच्चों के लिए एक ही सार्वजनिक स्कूल प्रणाली को प्रोत्साहन देने की दिशा में काम किया जा रहा है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी दिव्यांग बच्चे शुरू से ही समाज में समान भागीदार रहेंगे। उन्होंने मौजूदा योजनाओं में यूनिसेफ के सहयोग की सराहना करते हुए कहा कि सरकार द्वारा बाल तस्करी और सड़क पर रहने वाले बच्चों के पुनर्वास के मुद्दे से निपटने के लिए नीति और अभिनव कार्यक्रमों में भी यूनिसेफ से सहयोग की अपेक्षा है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि सरकार इस चर्चा से निकल कर आने वाली संस्तुतियों को दिव्यांग बच्चों और किशोर-किशोरियों के सर्वोत्तम हित में यथोचित ढंग से लागू करने का प्रयास करेगी।
इस वर्ष विश्व बाल दिवस का विषय ‘हर बच्चे के लिए, हर अधिकार’ रखा गया है। हर साल 3 दिसंबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। ये देखते हुए बिहार सरकार और यूनिसेफ द्वारा संयुक्त रूप से ‘दिव्यांगता और बाल अधिकार: बाधाओं को तोड़ना और क्षमता का संवर्धन’ विषय पर इस चर्चा का आयोजन कर, बाल अधिकार सप्ताह और अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया गया।
अपने संबोधन में प्रेम सिंह मीणा, सचिव, समाज कल्याण विभाग ने कहा कि बिहार सरकार अपनी योजनाओं को बिना किसी कट-ऑफ सीमा के यूनिवर्सल कवरेज मोड में लागू करती है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण (पेंशन योजना के अलावा) मुख्यमंत्री दिव्यांग ट्राइसाइकिल योजना 2023 है जो राज्य भर में दिव्यांगजनों को निःशुल्क उपलब्ध कराई गई है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि बिहार सरकार ने आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम, 2016 के लागू होने के बाद 2018 में राज्य में दिव्यांगजन सशक्तिकरण निदेशालय की स्थापना करके दिव्यांग व्यक्तियों के लिए कदम उठाना शुरू कर दिया। इन निदेशालयों के लिए मानव संसाधन का एक विशेष कैडर बनाया गया जो अब सभी जिलों में कार्यरत है। पूरे राज्य में दिव्यांगजनों से जुड़ी योजनाओं की पहुंच और उनका लाभ सुनिश्चित किया जा रहा है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार दिव्यांग बच्चों की पहचान करने के लिए आशा, एएनएम, जीविका दीदियों की क्षमता बढ़ाने की योजना बना रही है, ताकि इन बच्चों को जल्द से जल्द आवश्यक सेवाएं, दस्तावेज/कार्ड प्रदान किए जा सकें।
यूनिसेफ बिहार के प्रभारी प्रमुख शिवेंद्र पांडे ने गणमान्य अतिथियों एवं सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि विकलांग व्यक्तियों, विशेषकर दिव्यांग बच्चों को कानूनी सहायता सुनिश्चित करने के लिए दुनिया की सभी सरकारों ने दिव्यांग व्यक्तियों के अधिकारों पर कन्वेंशन (सीआरपीडी) और बाल अधिकारों पर कन्वेंशन (सीआरसी) जैसे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों का अनुमोदन किया है। उन्होंने उल्लेख किया कि 2016 में, भारत सरकार ने विकलांग व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम (आरपीडब्ल्यूडी) को प्रख्यापित किया, जिसमें विकलांग बच्चों के लिए अधिकारों का विशेष प्रावधान है; और विधायी ढांचे के आधार पर, भारत सरकार और बिहार सरकार सामान्य रूप से विकलांग व्यक्तियों और विशेष रूप से बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए कई कार्यक्रम और योजनाएं लागू कर रही हैं।
उद्घाटन सत्र के बाद प्रशांत कुमार चौधरी, निदेशक, समाज कल्याण विभाग, बिहार सरकार की अध्यक्षता में पैनल चर्चा हुई। परिचर्चा की शुरुआत ‘वॉयस फ्रॉम द चिल्ड्रेन’ यानी बिहार में बाल अधिकारों का लाभ लेने संबंधी चुनौतियों पर दिव्यांग बच्चों द्वारा अपने अनुभव साझा करने से हुई। किलकारी बिहार बाल भवन के तीन बच्चों फातिमा, अयान और मनीष ने प्रभावी ढंग से अपने अनुभव साझा किए।
इसके बाद डॉ. ए के जायसवाल, शिशु रोग विभागाध्यक्ष (सेवानिवृत्त), पीएमसीएच, पटना, प्रवीण कुमार, लीड, सोशल इंक्लूजन, वीएसओ इंटरनेशनल, राकेश कुमार, राज्य सचिव, बिहार दिव्यांग अधिकार मंच, प्रतीक अग्रवाल, निदेशक, आस्था इंडिया, नई दिल्ली एवं सिस्टर लिसी मैथ्यू, प्रिंसिपल, आशादीप दिव्यांगजन पुनर्वास केंद्र, पटना द्वारा दिव्यांगता से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की गई। पैनल परिचर्चा के बाद प्रश्न-उत्तर सत्र भी आयोजित किया गया।
इस कार्यक्रम में बिहार सरकार एवं यूनिसेफ के अधिकारियों समेत सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधिगण, शोधार्थी और अन्य हितधारकों ने भाग लिया।