उ.प्रगाजीपुर

प्रधानमंत्री आवास योजना में हुआ बड़ा खेल,प्रधान और सचिव हुए मस्त,जिले के आला अफसर बेखबर।

अनुज श्रीवास्तव/अवनीश सिंह
उ.प्र./गाजीपुर। मोदी सरकार ने बड़े ही गर्व से कहा था की 2022 तक हर गरीब के पास घर होगा। अब गरीबों के पास घर हुआ या नहीं हुआ लेकिन कई गांव के प्रधान मालामाल हो गए।यह योजना तो जमीन पर जरूर उतारी गई परंतु जमीन पर इस योजना को उतारने के लिए जो सिस्टम बना था वह सिस्टम ही उसे योजना को कमजोर करने पर लगा हुआ है। बता दें कि इस योजना में जिले के अधिकारियों से लेकर ग्राम प्रधान तक को सम्मिलित किया गया है।किंतु ग्रामीण क्षेत्रों में कई ग्रामों के प्रधानों ने इस योजना का भरपूर मजा लिया।इस योजना को लागू करवाने में प्रधानों ने गरीबों से पैसा भी वसूलना शुरू कर दिया।प्रधान और सचिव मिलकर आवास के नाम पर इन गरीब मजबूर लोगों से पैसा वसूलना शुरू कर दिया।एक ताजा तरीन मामला मनिहारी ब्लॉक के बरवा खुर्द गांव का है जहां का प्रधान दिनेश मौर्या है।जब सबका जम्मू कश्मीर नेशनल न्यूज की टीम उस गांव में पहुंची तो जब गांव के लोगों से बातचीत हुआ तो गांव वालों ने बताया कि आवास तो बहुत आए हैं।जब आवास लाभार्थियों से बातचीत की गई तो उन्होंने नाम ना बताने की शर्त पर बताया की प्रधान और सेक्रेटरी मिलकर₹10000 एक आवास पर लेते हैं।जिसमें वसूली का काम बरवा खुर्द का प्रधान दिनेश मौर्या स्वयं करता है।और सेक्रेटरी अश्वनी कुमार को पहुंचाता है। लाभार्थियों ने यहां तक कहा कि अगर प्रधान को हम लोगों के बारे में मालूम हो जाएगा तो फिर हम लोगों का जीना हराम कर देगा। तरह-तरह से धमकियां देना शुरू करेगा और तब हम लोग क्या करेंगे।इस मामले पर जब खंड विकास अधिकारी मनिहारी से संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि अगर शिकायत है तो उनके ऊपर एफआईआर कराई जाएगी लेकिन लाभार्थी पीछे ना हटे।अब जटिल समस्या यह है कि लाभार्थी खुद डरते हैं की कैसे हम प्रधान के बारे में कहें।कहीं प्रधान को बाद में मालूम हो गया तो प्रधान के कहर से हमें कौन बचाएगा। जब पत्रकार ने प्रधान से संपर्क करने की कोशिश की तो प्रधान ने जवाब काटते हुए कहा कि कौन-कौन कह रहे हैं इन सबको हम अभी बता रहे हैं।तब पत्रकार ने कहा कि जो बातें कही जा रही है यह सच है या झूठ?तो प्रधान ने कहा जाइए आपको जो करना है कर लीजिए मुझे वीडियो और सीडीओ से कोई डर नहीं है। अब जिले के आला अधिकारी इस मामले का संज्ञान लें।इन परिस्थितियों में इन वसूलीबाज प्रधानों और सेक्रेटरी के करतुतों से गरीब मजबूर लोगों को कैसे बचाया जाए? अब तो इन परिस्थितियों को देखते हुए यही कहा जा सकता है की बरवा खुर्द प्रधान दिनेश मौर्य ने यह सोच लिया है कि “भ्रष्टाचार हमारा अधिकार”है।

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