अनुज श्रीवास्तव/रंजीत सिन्हा
बिहार/पटना। शनिवार को पटना के गांधी मैदान स्थित गांधी मूर्ति समीप लोक पंच, पटना की ओर से मनीष महिवाल द्वारा लिखित एवं निर्देशित नाटक “नाट्य शिक्षक की बहाली” का मंचन किया गया। नाटक की शुरुआत एक हास्य दृश्य से होता है, जिसमें कुछ अभिनेता नाटक के एक दृश्य का पूर्वाभ्यास कर रहे हैं, बार-बार कोशिश करने पर भी दृश्य तैयार नहीं हो पाता है। इस दृश्य के माध्यम से दर्शकों को सहज ही पता चल जाता है कि एक निर्देशक को नाटक तैयार करने में कलाकारों के साथ कितनी मेहनत करनी पड़ती है।
नाटक में आगे दिखाया गया कि कैसे रंगकर्मी समाज का आईना होते हैं। नाटक में रंगकर्मियों के व्यक्तिगत जीवन के संघर्ष की अलग-अलग कहानियों को दिखाया गया। जिसमें एक रंगकर्मी के जीवन के उस पहलू को उकेरा गया जहाँ वो पढ़ाई के बाद भी अपने परिवार और समाज में उपेक्षित है, उसे स्कूल, कॉलेज में एक अदद नाट्य शिक्षक की नौकरी भी नहीं मिल सकती है। क्योंकि हमारे यहां के स्कूल-कॉलेजों में नाट्य विधा सिखाने के लिए शिक्षकों की बहाली का कोई नियम नहीं है। इस मुखर सवाल पर आकर नाटक दर्शकों के लिए रंगकर्मियों के जीवन संघर्ष से जुड़ा निम्न सवाल भी छोड़ जाता है कि आखिर रंगकर्मी जीवन यापन के लिए क्या करें ?
नाटक खत्म होने के बाद सुधी दर्शक तालियां बजाते हैं व स्मृति चिन्ह देकर कलाकारों को सम्मानित करते हैं।
यही रंगकर्मी जब अपने घर पर पहुंचता है तो घर में इससे बेहूदा किस्म के सवाल पूछे जाते हैं।
क्या कर रहे हो ?
नाटक करने से क्या होगा ? लोग तुम्हें लौंडा कहते हैं। नाचने-गाने वाला कहते हैं।
यह सब करने से तुम्हारे परिवार का रोजी-रोटी नहीं चलेगा…
कोई अच्छे घर की लड़की का हाथ तक नहीं मिलेगा।
इस तरह के अनगिनत ताने सुनकर व अभाव में रहने के बाद भी वह नियमित रूप से रंगकर्म करता रहता है।
इस नाटक के माध्यम से रंगकर्मी सरकार से यह मांग करते हैं कि सभी स्कूल और कालेजों में नाट्य शिक्षको की बहाली हो।
सरकार रंगकर्मियों को नौकरी दे,उन्हें रोजगार दे, तभी वे खुलकर समाज का साथ दे सकते हैं l
नाटक के कलाकारों में-
सूत्रधार- रजनीश पांडे वहीं
अन्य कलाकारों में मनीष महिवाल,प्रिया कुमारी,
कृष्णा देव,अरबिंद कुमार
राम प्रवेश,रजनीश पाण्डेय
अभिषेक राज शामिल थे।