‘जब माता-पिता खुश नहीं तो सब बेकार है’ नाटक की हुई प्रस्तुति
अनुज श्रीवास्तव/रंजीत सिन्हा
बिहार/फुलवारी शरीफ। सर्वमंगला सांस्कृतिक मंच के साप्ताहिक नुक्कड़ नाटक की श्रृंखला में महेश चौधरी द्वारा लिखित एवं मिथिलेश कुमार पांडे निर्देशित नाटक- “जब माता-पिता खुश नहीं तो सब बेकार है” की प्रस्तुति फुलवारीशरीफ वाल्मी में की गई।
नाटक की शुरुआत अमन राज के स्वरबद्ध गीत- चाहे लाख कमाई धन-दौलत, यह बंगला कोठी बनाएं, पर मां-बाप ही जब खुश नहीं रहे तेरे, तो बेकार है सारे कमाई! ये लाख नहीं खाक है सब..से हुई।
एक सच्ची घटना पर आधारित कहानी को इस नाटक के माध्यम से दिखाया गया कि एक सरकारी कर्मचारी के सेवानिवृत्ति के उपरांत जब वह बुढ़ापे के अंतिम दहलीज पर पहुंचता है तब वह अपने जरूरत की चीज चश्मा आदि लाने के लिए अपने बेटों से कहता है पर उसका बेटा कहता है कि मुझे फुर्सत नहीं है आप अपना काम खुद कीजिए नहीं तो आप लोग अपना बोरिया बिस्तर बांधिए और वृद्धा आश्रम में चले जाइए। फिर भी वह इस दर्द और जख्म के साथ अपने परिवार में जीते हैं। बेटों को कहीं जाते समय जब वह पूछता है तो उसका बेटा कहता है कि आप लोग बीच में टोका-टोकी नहीं कीजिए क्योंकि मेरा काम खराब हो जाता है। एक दिन उसका छोटा बच्चा कहता है कि पापा आप और मम्मी, दादा-दादी को इतना क्यों तंग करते हैं। हमको भी ऐसा ही करना पड़ेगा तब उसकी आंख खुलती है और याद आता है कि वही माता-पिता बचपन में हमको अपने पलकों में बिठाऎ रखते थे। उनको आज हमारे सहारे की जरूरत है तो मेरे पास उनके लिए समय नहीं है।बचपन में इन्हीं माता-पिता ने खुद से मेरी हर जरूरत पूरी की थी लेकिन हम लोगों को उनके काम के लिए समय नहीं है। जरा सा चोट लग जाने से उनका कलेजा दुखता था तो आज उनके दुख दर्द को देखकर भी हम लोग अनदेखा कर रहे हैं। सिर्फ पैसा कमाने में इतने अंधे कैसे हो गए हैं। आज हंसते खेलते माता-पिता नहीं है तो इस दुनिया की हर खुशी बेकार है यह पैसा हमें थोड़ी देर के लिए खुशी तो दे सकता है लेकिन अपनापन और साथ मिलकर रहने में जो खुशी मिलती है वह अनमोल होती है। माता-पिता ही देवी और देवता हैं।माता-पिता साथ हैं तो हम भाग्यशाली और किस्मत वाले हैं। माता-पिता साथ है तो हर खुशी शोभा देती है अकेले बिल्कुल नहीं। इस गलती के लिए वह अपने माता-पिता का पैर पकड़ कर माफी मांगता है।
नाटक के कलाकार- महेश चौधरी, मिथिलेश कुमार पांडेय, अमन राज , करण, नमन, रुपाली सिन्हा थे।