साहित्य कलश पत्रिका का विमोचन एवं कवी सम्मलेन आयोजित

सबका जम्मू कश्मीर(राम चंद गुरदासपुर)
गुरदासपुर/पंजाब। साहित्य कलश पत्रिका की मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन जी के इंस्टिट्यूट पटियाला के प्रांगण में किया गया जिसमें तीस कवियों एवं साहित्यकारों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के तौर पर दिनेश सूद, पवन गोयल, त्रिलोक सिंह ढिल्लों, प्रिंसिपल मंजू जी ने शिरकत की। सुबह दस बजे नियत समय पर गोष्ठी का प्रारंभ मंच को सुसज्जित कर एवं माँ सरस्वती के पावन चरणों में नमन के साथ शमा रोशन करने की प्रथा को निभाते हुए किया गया। उसके बाद मंच संचालिका मनु वैश्य ने सभी का अभिवादन एवं स्वागत करते हुए विधिवत काव्य गोष्ठी का आग़ाज़ किया। करीब तीस साहित्यकारों ने अपनी रचनाओं से माहौल को पूर्ण रूप से काव्य रस में सराबोर कर दिया।
सर्वप्रथम अनुप्रीत भट्टी और पूर्ण स्वामी ने रचना पढ़ी। पुनीत गोयल द्वारा आई लव यू, कृष्ण धीमान द्वारा कोई धोखे नाल मारे, ख़ुशप्रीत द्वारा दिल की दहलीज़, अलका अरोड़ा द्वारा कुर्सी की चिंता, कुलविंदर कुमार द्वारा पंजाबी लघु कथा पेश की गई। पूरी काव्य गोष्ठी में अभी तक ख़ूबसूरत एहसासों की छटा से वातावरण काव्यमय हो गया था। गुरप्रीत सिंह ढिल्लों ने लोक गीत बेहद ख़ूबसूरती से गाया और सभी का मन मोह लिया। विजय कुमार ने ख़ूबसूरत रचना ‘किसी की दिल्लगी होगी ‘प्रस्तुत की तो शालू जिंदल ने मुझे याद रखना रचना सुनायी | विश्वजीत ने ‘मैं ना आगे हूँ ‘रचना सुनायी तो जगदीश जग्गी ने ‘इक नूर तो ‘रचना से समाँ बाँधा। कृष्ण धीमान, डॉ. राकेश वर्मी, डॉ. अजय सिंगला और कुलदीप कौर धंजून जी ने भी अपनी रचनाओं से सबका ध्यान अर्जित किया।
अमृतपाल सिंह काफ़ी ने ‘आँखे फिर नम होगी ‘कविता पेश की तो बजिन्दर ठाकुर ने पत्नी पर हास्य गीत सुनाकर सबका दिल जीत लिया। श्रवण कुमार ने ‘तू है तो ‘ ग़ज़ल, पंकज कौशिक की ग़ज़ल ‘गर चाहते है ‘, अनिशा अंगरा की ग़ज़ल ‘अधूरी सी कहानी है मुहब्बत ‘, हरिदत्त हबीब की परिंदे तुमने पाले ‘ एवं परविंदर शोख़ की‘ तुझे यह फ़िक्र है ‘की ग़ज़लों ने सभी साहित्यकारों की तालियों एवं वाह वाही को रुकने ही नहीं दिया।
त्रिलोक सिंह ढिल्लों ने ‘शोर बहुत है ‘ पंजाबी गीत पेश किया। मनु वैश्य ने ‘मैं कौन हूँ‘ कविता का पाठ किया। मंचासीन पवन गोयल ने साहित्य कलश द्वारा किए जाने वाले साहित्यक कार्यक्रम की प्रशंसा की और कहा कि उन्हें हर माह इंतज़ार होता है इस काव्य गोष्ठी का। दिनेश सूद ने सभी की रचनाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी दी और सभी द्वारा सुनायी गई रचनाओं की तारीफ़ की। फिर साहित्य कलश पत्रिका का विमोचन किया गया और साहित्य कलश पब्लिकेशन के संस्थापक सागर सूद ने ख़ूबसूरत ग़ज़ल ‘आप जबसे ख़फ़ा हो गए’ पेश की।
सागर सूद द्वारा हर महीने साहित्यक गोष्ठी का निविघ्न आयोजन उनके समाज एवं साहित्य के प्रति गहरे लगाव एवं समर्पण की जीती जागती मिसाल है।
मंचासीन सभी अतिथियों ने साहित्य कलश को ऐसे ही बढ़ते रहने की शुभ कामनाएं दी और उनके इस प्रयास की भूरि भूरि प्रशंसा की।
हमेशा की तरह साहित्य कलश परिवार के सदस्यों का केक काटकर जन्मदिन मनाया गया। इस तरह एक ख़ूबसूरत काव्य गोष्ठी जो कि पूर्ण रूप से स्वस्थ साहित्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा देती है।