संकल्प(लघुकथा)
मानकंवर मैना
मम्मी कहाँ हो आप?मम्मी,मम्मी कहती हुई रचना पूजा घर की तरफ आई।
“लो आप यहाँ हो और मैं पूरा घर ढूंढ आई”कहती हुई रचना मम्मी के पास ही बैठ गई।
“अच्छा मम्मी यह बताओ कि अब आप भगवानजी से क्या मांग रही हो?मेरी शादी अच्छे घर में हो गई और संदीप की शादी भी अच्छे से निपट गई।संदीप और पायल की जोड़ी भी बहुत सुंदर लगती है।”रचना बोली।
“हाँ बेटा यह तो सब ठीक है।मगर आजकल सास बहू के रिश्ते के बारे में जब लोगो से किस्से सुनती हूँ, तो डर सा लगने लगा है।मैं भगवानजी से यही प्रार्थना कर रही थी कि मुझे इतनी शक्ति देना कि जैसे मैं एक अच्छी पत्नी,बहू, भाभी और माँ बनी वैसे ही एक अच्छी सास भी बन सकूँ।पायल अगर गलती भी करे तो मैं उसे वैसे ही समझा सकूँ जैसे तुझे और संदीप को समझाती हूँ।”सुमित्रा बोली।
“हाँ मम्मी आप बहुत अच्छी सास बनोगी मैं पूरे विश्वाश के साथ कह रही हूँ।”रचना ने कहा।
” बेटी मैं आज भगवान के सामने यह संकल्प लेती हूँ कि मैं एक अच्छी सास बनकर दिखाऊंगी।”
दरवाजे के बाहर पायल सास के लिये चाय लिये खड़ी थी और सास व ननद की बातें सुन रही थी ।मन ही मन एक संकल्प उसने भी लिया कि वह भी एक अच्छी बहू बनकर रहेगी।
मानकंवर मैना
भवानीपुरा खाटूश्याम जी ,राजस्थान