उन्हें ज्ञानपीठ पुरस्कार देने की मांग की गई
अनुज श्रीवास्तव/रंजीत सिन्हा
बिहार/पटना। आयाम: साहित्य का स्त्री स्वर और मगध विश्वविद्यालय, बोध गया के सामूहिक तत्वाधान में पद्मश्री उषाकिरण खान का जन्मदिन “किरणोत्सव” के रूप में मनाया गया। मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध लेखिका चित्रा देसाई मौजूद थी। अन्य गणमान्य अतिथियों में मगध विश्वविद्यालय के कुलपति एस.पी. शाही, विधान परिषद सदस्य वीरेंद्र नारायण यादव, सुप्रसिद्ध साहित्यकार रतनेश्वर् सिंह , हिंदी विभाग मगध विश्वविद्यालय, बोध गया के विभागाध्यक्ष श्री ब्रजेश कुमार राय जी मौजूद थे।
सुप्रसिद्ध साहित्यकार रत्नेश्वर सिंह ने अपने संभाषण ने कहा कि “बड़ा मनुष्य बनने के लिए सहज होना होता है और साथ ही सर्वव्यापी होने के लिए भी सहज एवं सरल होना आवश्यक होता है, उषा जी सरल एवं सरल व्यक्तितव् की स्वामिनी थीं। उन्होंने कहा कि ये खूबसूरत दुनिया स्त्रियों ने बसायी। जहाँ साहित्यकार मेरी दुनिया, मेरा साहित्य मेरी कविताएँ सरीखी अपनी दुनिया से निकल नहीं पाते …वहीं उषा जी ने आयाम के रूप में तुम्हारी दुनिया, तुम्हारा साहित्य, तुम्हारी कविताएँ सरीखी दुनिया इस साहित्य जगत को दी।” रतनेश्वर् जी ने घोषणा किया कि इस बार का पटना पुस्तक मेला उषा किरण खान पर केंद्रित होगा।
” उषा जी गाँव की जड़ों से जुड़ी साहित्यकार हैं यही कारण हैं कि उनके पात्र एवम उनकी कहानियाँ गांव की मिट्टी में रची बसी हैं ” । ” उषा जी ने आयाम नामक बीज का जो रोपण किया है वह निश्चित ही एक वृक्ष के वह सभी के लिए सुलभ उपलब्ध थीं। उनका जाना मेरे साथ साथ पूरे साहित्य जगत की क्षति है। वो मेरे लिए मातृ तुल्य थीं। उनके साहित्य संसार में भी उनका मातृत्व बोध उभर कर आता है जिनमे दूबधान, भामती , गयी झुलनी टूट इत्यादि हैं।रूप में पल्लवित होगा , उनकी ऊर्जा सदा ही हमारे बीच विद्यमान रहेगी।” -चित्रा देसाई जी ने उनके साहित्य संसार पर विस्तार से चर्चा की।
विधान परिषद सदस्य श्री वीरेंद्र नारायण यादव ने पद्मश्री उषा किरण खान की तुलना सिमॉन दी बुआर् से करते हुए कहा कि ” जहाँ सिमॉन दी बुआर् का साहित्य आक्रामक था वहीं उषा किरण का साहित्य कांता समत्ती मंत्रणा का द्योतक है।”
“उषा जी बिहार साहित्य जगत की धरोहर हैं। उन्होंने घोषणा की कि विश्वविद्यालय में कारपस् फंड के द्वारा हिंदी के लिए दिया जाने वाला पुरस्कार पद्मश्री उषा किरण खान के नाम पर दिया जायेगा। ” श्री शाही जी ने उनके लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार की मांग की और सभी शोधर्थियों से अपील की उषा किरण खान पर शोध करें। उनके शोध हेतु हर तरह का सहयोग भी प्रदान किया जायेगा।
इस अवसर पर जे डी वीमेंस कॉलेज की छात्राओं ने झिझिया नृत्य एवं महिला सशक्तिकरण पर नृत्य नाटिका प्रस्तुत किया ।
समस्त कार्यक्रम का मंच संचालन निवेदिता झा ने किया ।आयाम की सचिव डॉ वीणा अमृत ने अतिथियों का स्वागत एवं डॉ रीता सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया ।
कार्यक्रम में अन्य विशिष्ट अतिथि के रूप में जे डी वीमेंस कॉलेज की प्राध्यापिका डॉ रेखा मिश्रा एवं डॉ जनकमणि सिंह तथा आयाम की सदस्यों में रंजिता तिवारी, सौम्या सुमन भी उपस्थित थी ।