किसानों की समस्याओं को उठाने और युवाओं को प्रोत्साहन देने में हमेशा तत्पर रहते हैं भारत प्रिय
सबका जम्मू कश्मीर।
जम्मू। भारत प्रिय का जन्म जम्मू जिले की परगवाल तहसील के निकोबाल गांव में हुआ। उनके दादा महंत लुद्रमणि दास कच्ची मांड गद्दी के महंत थे, जो इस समय पाकिस्तान में है। उनके पिता बशेशर दत्त शर्मा आयुर्वेदिक डॉक्टर और जाने-माने समाज सेवक थे। वे लोगों का मुफ्त इलाज करते थे और अपनी कमाई भी लोगों की भलाई के लिए लगा देते थे। पिता ने अपनी पूरी जिंदगी गरीब और जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए न्योछावर कर दी।
भारत प्रिय जब 1 वर्ष के थे तो एक सड़क हादसे में उनके माता-पिता की मौत हो गई। परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और भारत प्रिय और उनकी चार बहनों की परवरिश का जिम्मा उनकी दादी के कंधों पर आ गया। भारत प्रिय की स्कूली शिक्षा नागबणि स्कूल से हुई।
स्कूल के समय से ही पर समाज सेवा के कामों में हमेशा सक्रिय रहे। पढ़ाई पूरी होने के बाद उन्होंने व्यापार करना शुरू किया लेकिन साथ में अपनी जड़ों के साथ भी जुड़े रहे। अपनी गद्दी का संचालन किया, गरीब लोगों की मदद को हमेशा तत्पर रहे। जरूरतमंद परिवारों की बेटियों की शादी में मदद की, सीमावर्ती किसानों के साथ हर मुद्दे पर खड़े रहे, खेलों में प्रतिभा निखारने के लिए युवाओं को मंच प्रदान किया, सीमावर्ती लोगों की समस्याओं को प्रशासन तक पहुंचाया। इसके अलावा भारत प्रिय ने मंदिरों के निर्माण व धार्मिक यज्ञों में भी काफी सहयोग दिया। युवाओं को नशे से दूर रखने और खेलों में भाग लेने के लिए प्रेरित करने के लिए उन्होंने क्रिकेट, फुटबाल, वालीबाल, हॉकी सहित हर प्रकार की खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन किया। कोरोना महामारी के समय में भी भारत को यह नहीं जरूरतमंद लोगों की काफी मदद की। समाज सेवा के प्रति भारत प्रिय के लगाव को देखते हुए कई संगठन और आम लोग उनके साथ जुड़ते चले गए। आज जब भी सीमावर्ती इलाकों में कोई आयोजन होता है तो भारत प्रिय को जरूर बुलाया जाता है। भारत प्रिय का मानना है कि सीमावर्ती क्षेत्रों के युवा सुरक्षाबलों की भर्ती के लिए सबसे उपयुक्त हैं। युवाओं को नशे से दूर रखने और शारीरिक तौर पर तंदरुस्त रखने के लिए वह समय-समय पर खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करते रहे हैं और उनकी यह कोशिश आगे भी जारी रहेगी। भारत प्रिय का कहना है कि जीवन में गरीब और जरूरतमंद लोगों की सेवा से बड़ा कोई काम नहीं है। जब आप किसी जरूरतमंद व्यक्ति की मदद करते हैं तो वह बदले में आपको दुआएं देता है और आपको भी एक सुखद अनुभूति होती है।