अनुज श्रीवास्तव/रंजीत सिन्हा
बिहार/पटना। बिहार संग्रहालय गुरुवार को दो पुनरावलोकन प्रदर्शनियों का शुभारंभ हुआ। पहली पुनरावलोकन प्रदर्शनी सुप्रसिद्ध मूर्ति शिल्पी रत्नाबली कांत की है, जिनकी कलाकृतियों की पहचान देश के बाहर भी है। दूसरी फोटो प्रदर्शनी गणेश खेतड़ीवाल की है, जो पेशे से व्यवसायी होने के साथ एक अनूठे फोटोग्राफर भी हैं। दोनों प्रदर्शनी का उद्घाटन अंजनी कुमार सिंह, महानिदेशक, बिहार संग्रहालय द्वारा द्वीप प्रज्ज्वलन कर किया गया। तत्पाश्चात दोनों कलाकारों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाशित कैटलॉग का लोकार्पण भी हुआ। अपने उद्घाटन भाषण में अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि रत्नाबली कांत एक नर्तक, कोरियोग्राफर, चित्रकार और मूर्तिकार हैं। उन्होंने बड़े साहस के साथ अपने युग की परंपराओं से आगे बढ़कर समकालीन भारतीय कला में एक नए कलात्मक आंदोलन की राह तैयार की है। उन्होंने भारत में प्रदर्शनात्मक दृश्य कला, इंस्टॉलेशन परफॉर्मेंस की शुरुआत और विकास में अपना अनमोल योगदान दिया है। 1977 में विश्व भारती विश्वविद्यालय से ललित कला में स्नातक रत्नाबली कांत ने अपने हुनर को और निखारने के लिए 1979 में एम.एस. यूनिवर्सिटी, बड़ौदा से रचनात्मक मूर्तिकला में मास्टर डिग्री हासिल की।
श्री अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि गणेश खेतड़ीवाल ऐसे शख्स हैं, जो पेशे से व्यवसायी हैं, धर्म और अध्यात्म के क्षेत्र में भी इनकी सक्रियता रहती है। साथ ही एक बेहतरीन फोटोग्राफर भी हैं। खेतड़ीवाल प्रकृति से अगाध प्रेम करते हैं। यह उनकी नदियों, पर्वतों और पर्वतीय स्थलों की तस्वीरों को देखकर स्पष्ट होता है। पटना जैविक उद्यान की तस्वीरें भी इनकी प्रकृति प्रेम की ही परिणति है। फोटो प्रदर्शनी में “शहर-शहर, गाँव-गाँव खंड भी है। इसमें देश-विदेश के कई शहर एवं गाँव शामिल है। एक ओर वर्न, आटोवा और शिकागो शामिल है तो दूसरी ओर कुर्सियांग जैसे पर्वतीय शहर भी। एक ओर दुबई की इमारतें हैं तो दूसरी ओर देहरादून और बंगलौर जैसे शहरों का विस्ता भी। चलते-चलते में पटना के महात्मा गाँधी सेतु, गंगा पथ, पटना गोल्फ क्लब की तस्वीरें हैं।
हावड़ा के हुगली नदी के किनारे का जीवन और चाय की दुकानें भी। उन्हीं फोटोग्राफ्स को यहाँ प्रदर्शित किया गया है।
उद्घाटन समारोह में बोलते हुए गणेश खेतरीवाल ने कहा कि वे समय-समय पर देश-दुनिया की सैर करते रहे हैं। उस दौरान जब उनकी पारखी आँखें समसामयिक, धार्मिक, नगरीय, प्राकृतिक एवं ऐतिहासिक सौंदर्य को देखती है, तो उसे कैमरे में कैद करने को इनका मन अधीर हो जाता है। उस दौरान खींचे गए सैकड़ों फोटोग्राफ्स का एक समृद्ध संकलन इनके पास है।
सुप्रसिद्ध मूर्ति शिल्पी रत्नाबली कांत ने अपने संबोधन के क्रम में कहा कि मेरी इस पुनरावलोकन प्रदर्शनी में मेरे गौरवशाली जीवन और समृद्ध करियर के पिछले तीन दशकों को शामिल किया गया है। यह उनके कार्यों की एक विविध श्रृंखला प्रदर्शित करेगी, जिसमें पेंटिंग, मूर्तियाँ और रिकॉर्ड किए गए प्रदर्शन शामिल होंगे, जो साबित करेंगे कि उनकी कलात्मक अभिव्यक्ति कितनी खास है।
उद्घाटन समारोह के बाद श्री अंजनी कुमार सिंह और अन्य अतिथियों ने बिहार संग्रहालय के अस्थायी दीर्घा में लगी रत्नाबली कांत की प्रदर्शनी और उसके बाद बहुउद्देशीय दीर्घा में प्रदर्शित गणेश खेतड़ीवाल की फोटो प्रदर्शनी का अवलोकन किया। समारोह में बड़ी संख्या में शहर के कला प्रेमी और व्यवसायी उपस्थित थे।
समारोह की शुरूआत में उपस्थित अतिथियों एवं दर्शकों का स्वागत करते हुए बिहार संग्रहालय के अपर निदेशक, श्री अशोक कुमार सिन्हा ने बताया कि बिहार संग्रहालय समय-समय पर देश के नामचीन कलाकारों के सम्मान में उनकी पुनरावलोकन प्रदर्शनियों का आयोजन करता रहा है। अबतक सुख्यात मूर्तिकार हिम्मत शाह से लेकर ब्रह्ममदेव राम पंडित तक लगभग 18 कलाकारों की प्रदर्शनी आयोजित हो चुकी है। उसी क्रम में श्री गणेश खेतड़ीवाल ओर श्रीमती रत्नाबली कांत की प्रदर्शनी आज से प्रारंभ हो रही है। बिहार संग्रहालय के उपनिदेशक, सुनील कुमार झा ने किया धन्यवाद ज्ञापन किया, और मंच का संचालन बिहार संग्रहालय के संग्रहालयाध्यक्ष सुश्री मौमिता घोष ने किया।