अनुज श्रीवास्तव/रंजीत सिन्हा
बिहार/पटना। ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन के पदाधिकारियों की दो दिवसीय (27 एवं 28 फरवरी) बैठक केरल की राजधानी त्रिवेंद्रम में संपन्न हुई। इस बैठक की अध्यक्षता फेडरेशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कामरेड के० के० दिवाकरण ने की।इस दो दिवसीय बैठक में मुख्य रूप से केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कानून हिट एंड रन के अलावा पथ परिवहन सड़क सुरक्षा विधेयक 2019, टोल टैक्स को खत्म करने,अनियंत्रित पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतों,पार्ट पुर्जों, टायर एवं गाड़ी की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि,गाड़ी के कागजातों के फीस में बढ़ोतरी एवं जुर्माने की राशि में 10 गुना तक बढ़ोतरी एवं परिवहन कर्मियों को सामाजिक सुरक्षा योजना का लाभ देने जैसे मुद्दों पर गहन चर्चा हुई। इसके अलावा देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए पदाधिकारियों ने अपने अपने राज्यस्तरीय समस्याओं को भी इस बैठक में रखा। बिहार की ओर से अपनी बात रखते हुए फेडरेशन बिहार के महासचिव राजकुमार झा ने कहा कि उपरोक्त समस्याओं के अलावा बिहार में छोटे वाहनों के स्टैंडों की समुचित व्यवस्था के बिना ही कुछ सरकारी एवं कुछ गैर सरकारी गुंडे ठेकेदारी प्रथा को नया रूप देने में जुटें हैं।जगह जगह नगर परिषद, जिला परिषद एवं बैरियर के नाम पर चालकों का आर्थिक शोषण हो रहा है।वहीं कुछ स्थानीय गुंडे पुलिस की सहायता से वाहन चालकों से अवैध वसूली कर रहे है। अपने संबोधन में राजकुमार झा ने कहा कि बिहार के चालक हर मुद्दे पर अपने अधिकारों के लिए आंदोलनरत हैं और इस बैठक में बनाए हुए आंदोलन के हर कार्यक्रम को मजबूती से अंजाम देंगे। कामरेड राजकुमार झा ने बैठक में एक प्रस्ताव पेश करते हुए सरकार से मांग किया कि ओला,उबर,रैपिडो जैसी इंटरनेशनल एवं मल्टीनेशनल कंपनियां चालकों का आर्थिक शोषण कर रही है। ये कंपनियां चालकों की कमाई का लगभग आधा पैसा कमीशन के रूप में काट लेती है। अतःसरकार को इसके विकल्प के रूप में एक अपना आनलाइन बुकिंग एप लाना चाहिए।इस प्रस्ताव का सभी लोगों ने समर्थन किया। आगे की रणनीति पर बात करते हुए फेडरेशन के महासचिव कामरेड आर० लक्षमैया ने कहा कि हमारे पास आंदोलन के अलावा कोई विकल्प नहीं है। सरकार लगातार चालकों के खिलाफ नियम एवं कानून बना रही है। सरकार की हर नीतियां इस देशी उद्योग को कारपोरेट के हाथों बेंचने के लिए बन रही है। इसलिए हमे एक बड़े आंदोलन की तैयारी करनी होगी। उन्होंने हर राज्यों के पदाधिकारियों को निर्देश देते हुए कहा कि सभी लोग अपने अपने यहां चालकों को संगठित एवं जागरूक करिए। उन्होंने अपने आंदोलन को आम लोगों से जोड़ने के लिए अपने आंदोलन के पक्ष में सार्वजनिक हस्ताक्षर अभियान चलाने को कहा एवं चालकों का हौसला बढ़ाने एवं संगठन को मजबूत करने के लिए पदाधिकारियों को चालकों के घर जाकर उनको सम्मान देने जैसे कार्यक्रम के निर्देश दिए। बैठक में सर्वसम्मति से एक एजेंडा तय किया गया।इस एजेंडे के अनुसार आने वाले लोकसभा के चुनाव को देखते हुए ये निर्णय लिया गया कि हमारी उपरोक्त समस्याओं का जो भी राजनीतिक पार्टी समाधान का भरोसा दिलाएगी,ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन के सदस्य उस पार्टी का समर्थन करेगें।वैसे तो ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन के अलावा देश में और भी ट्रांसपोर्ट संगठन है लेकिन सबका डिमांड एक है।एक आंकड़े के अनुसार पूरे देश में कॉमर्शियल वाहनों से जुड़े लगभग 4.5 करोड़ परिवहन मजदूर हैं जिसमें गैराज से लेकर पेट्रोल पंपों पर काम करने वाले लोग भी शामिल हैं। अपने मुद्दों पर एकता बनाते हुए अगर ये परिवहन मजदूर किसी राजनीतिक पार्टी को समर्थन करते हैं तो निश्चित रूप से उस पार्टी को बड़ा फायदा होगा। बैठक के अंत में मार्च के महीने में बड़े आंदोलन की तैयारी को अमली जामा पहनाने का निर्णय लेते हुए इंकलाबी नारों के साथ बैठक की समाप्ति की घोषणा की गई।