फुलवारी शरीफबिहार

नाटक से कलाकारों ने बताया: गुरु का ज्ञान और शिक्षा ही जीवन का आधार है

अनुज श्रीवास्तव/रंजीत सिन्हा
बिहार/फुलवारी शरीफ। सर्वमंगला सांस्कृतिक मंच के साप्ताहिक नुक्कड़ नाटक की श्रृंखला में महेश चौधरी द्वारा लिखित एवं मिथिलेश कुमार पांडे निर्देशित नाटक “गुरु की महिमा” की प्रस्तुति वाल्मी फुलवारी शरीफ, पटना में की गई।
नाटक की शुरुआत सौरभ राज के स्वरबद्ध गीत- गुरुवर इस ज्ञान के मंदिर में मैं बिगड़ी बनाने आया हूं, श्रद्धा विश्वास के स्वर लेकर मैं बिगड़ी बनाने आया हूं…. से हुई ।
आज गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर नाटक के माध्यम से कलाकारों ने बताया कि गुरु का ज्ञान और शिक्षा ही जीवन का आधार है। गुरु के बिना जीवन की कल्पना अधूरी है। इस संसार में मनुष्य को जन्म भले ही माता-पिता देते हैं लेकिन मनुष्य का सही अर्थ गुरु कृपा से ही प्राप्त होता है गुरु जगत व्यवहार के साथ भाव-भव तारक पथ प्रदर्शक हैं ।
एक गरीब परिवार का इकलौता पुत्र जिसे पढ़ाई में मन नहीं लगता है वह बहुत शैतानी करते रहता है जिससे उसके माता-पिता काफी परेशान थे। उसने अपने मित्र के सलाह पर अपने बेटे को संगीतालय में संगीत सीखने के लिए भेजता है। संगीतालय में वह लड़का भारतीय लोक संस्कृति की परंपराओं के अनुरूप ज्ञान , कौशल और सकारात्मक व्यवहार से अपने गुरु के प्रति समर्पित हो जाता है। कठिन साधना और अपने गुरु की महिमा से आज वह एक मशहूर गायक होकर अपने देश का नाम रोशन कर रहा है।
नाटक के कलाकार महेश चौधरी, मिथिलेश कुमार पांडे, सौरभ, अमन, करण, नमन, रोहित, श्रीकांत, अंजनी कुमार वर्मा, देव दर्शन, सक्षम, विभास, सूर्यांश, अधर्व, आयुष और प्रमोद थे।

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