अनुज श्रीवास्तव/अवनीश सिंह
गाजीपुर/उत्तर प्रदेश ! शिक्षा विभाग के कारनामों की चर्चाएं हमेशा जनपद में गूँजती रहती हैं।हालांकि जनपद के आला अधिकारियों पर गंभीर सवाल तब खड़े हो जाते हैं,जब उनके अधीनस्थ कर्मचारी उनके निर्देश की धज्जियां उड़ाने से बाज नही आते। वैसे तो जनपद में हमेशा ही मिटिंग के माध्यम से शासन की मंशा व शासनादेश के पालन करने की हिदायत दी जाती हैं। मगर धरातल पर कुछ और ही नजर आता है,यानी ढाक के तीन पात कुछ भी कर लो हम नही सुधरेगें। जी हां मामला जिले के सदर प्रखंड के कंपोजिट विद्यालय फतुल्लाह पुर की है। बता दें कि शासन की मंशा व बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।
हमेशा कहा जाता है की शिक्षक सभ्य समाज की नीव रखता है,यह उसकी नैतिक जिम्मेदारी है। उसे बच्चों को बेहतर शिक्षा देकर योग्य बनाना व देश के गौरव तथा विकास में अपनी भूमिका को सुनिश्चित करना है। परंतु यह कंपोजिट विद्यालय एक ऐसा विद्यालय है जहां विद्यालय प्रभारी व सहायक अध्यापिका समय से पहले बच्चो की छुट्टी कर देना व समय से पहले विद्यालय के कमरों में ताला लगाकर समय से पहले घर जाना इनकी आदत में सुमार हो गया है।अब सवाल यह है कि यह करामात किसके दम पर,आखिर कौन है वह दिलावर जो कमियों के बाद भी सुविधा मुहैया कराता है साथ ही साथ महीने के अंत में सरकारी तनख्वाह से भी अभिभूत कर देता है। ग्रामीणों की माने तो यहां बच्चे पढ़ने जाते है लेकीन अध्यापक पढ़ाने में रुचि नहीं रखते जिसके कारण प्राइवेट स्कूलों में बच्चों की संख्या निरन्तर बढ़ रही है,
आखिर हर सुविधा मुहैया कराने के बाद भी सुधार क्यों नहीं कारण है ऐसे उदासीन शिक्षक। ऐसे शिक्षकों पर उचित कार्यवाही होनी चाहिए ताकि प्रदेश सरकार का प्रयास सार्थक हो सके व सरकारी स्कूलों के प्रति आम जनता की सोच को बदला जा सके।
क्या है पूरा मामला–
सूत्रों की माने तो अक्सर समय से पहले विद्यालय बंद होने की शिकायत मिलती रहती थी और शुक्रवार को कंपोजिट विद्यालय फतुल्लाह पुर की सारी टीचर समय से पहले विद्यालय में ताला लगाकर रोड पर खड़ी थी।जब उन लोगों ने पत्रकारों को देखा तो दौड़कर विद्यालय के अंदर जाने लगी। पत्रकार जब विद्यालय के अंदर पहुंचे तब उन्होंने देखा कि विद्यालय के सारे कमरों में ताला लगा हुआ है और एक भी बच्चे विद्यालय में उपस्थित नहीं थे दोपहर लगभग 1:30 बजे का समय हो रहा था। कुछ सहायक अध्यापिका अपने कमियों को छुपाने के लिए पत्रकारों पर ही भड़कने लगी। हद तो तब हो गई जब सहायक अध्यापिका सीमा सिंह ने अपने पति को फ़ोन करके अपने बचाव में बुला लिया। पतिदेव का साथ पाते ही मैडम का पारा सातवें आसमान पर चढ़ गया और अपनी कमियों में सुधार लाने की बजाय पत्रकार को जमकर नसीहत देने लगी। बच्चों के बाबत पूछने पर प्रधानाचार्या ने कहा कि हम लोगों ने बच्चों को एक बजे इसलिए छोड़ दिया कि आज नाग पंचमी का त्यौहार था।अब तुम बताओ विद्यालय में कैसे घुस गए क्या तुम्हारे पास विद्यालय में आने का परमिशन है। अब सवाल यह है कि ऐसे लोगों को कौन समझाये जो समाज में शिक्षा की अलख जगा रहे हैं और खुद दिग्भ्रमित हैं।
बेसिक शिक्षा अधिकारी ने लिया मामले का संज्ञान–
इस बाबत जब बेसिक शिक्षा अधिकारी को बताया गया तो उन्होंने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए खंड शिक्षा अधिकारी सदर आलोक यादव को जांच कर सभी शिक्षकों का वेतन रोकने का निर्देश दिया।