उ.प्रगाजीपुर

सैदपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर दो एंबुलेंस कर्मी आपस में भिड़े,मरीज की जान पर भारी पड़ा पैसा

अनुज श्रीवास्तव/अवनीश सिंह
उ.प्र./गाजीपुर। एक वीडियो वायरल हो रहा था।जब इसका पता लगाया गया तो यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र सैदपुर गाजीपुर का बताया गया है।बताया जाता है कि यह वीडियो गुरुवार की शाम के समय की है।जिस वीडियो में दो एंबुलेंस चालक 102 नंबर तथा 108 नंबर के आपस में लड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं।जब इस बारे में सैदपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर पता किया गया तो पता चला कि गुरुवार की शाम एक प्रसूता की सैदपुर सी एच सी में सामान्य डिलीवरी हुई थी। हालांकि डिलीवरी के बाद अधिक रक्त स्राव होने से उसकी स्थिति बिगड़ने लगी।इसके बाद प्रसूता को जिले पर रेफर कर दिया गया।प्रसूता के परिजन वही खड़े 102 नंबर एंबुलेंस को बुलाए लेकिन 102 नंबर एंबुलेंस के चालक ने उनसे पैसे की मांग की।तब प्रसूता के परिजनों ने 108 नंबर को बुलाया और प्रसूता को जिले पर ले जाने की तैयारी करने लगे। इसी दौरान देखते ही देखते 102 नंबर एंबुलेंस के चालक तथा 108 नंबर एंबुलेंस के इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन आपस में भिड़ गए।मामला पैसे का बताया जा रहा है।
प्रसूता की जान पड़ी रही जोखिम में
102 नंबर एवं 108 नंबर एंबुलेंस कर्मियों की लड़ाई में प्रसूता को करीब आधे घंटे इंतजार करना पड़ा।प्रसूता के परिजनों का कहना है कि प्रसूता दर्द के मारे कराहती रही किंतु यह एंबुलेंस कर्मी आपस में पैसे को लेकर विवाद करते रहे।बार-बार परिजनों के कहने पर भी एंबुलेंस कर्मियों को प्रसूता के हालात पर तनिक भी तरस नहीं आई।जब प्रसूता की हालत ज्यादा खराब होने लगी तब आनन-फानन में उसे गाजीपुर ले जाया गया। मामला यह है की प्रसूता काजल सैदपुर के पहाड़पुर गांव की रहने वाली है।प्रसूता काजल सैदपुर में डिलीवरी के लिए आई थी।उसके पति अभिषेक रंजन ने बताया की प्रसूता को बच्ची पैदा हुई है। हालांकि अब उसकी हालत ठीक है।
जब इस मामले पर सैदपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अधीक्षक संजीव कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि एंबुलेंस कर्मियों को रखने वाली कंपनी को दो सिफ़ारिशें भेजी गई हैं या तो इन्हें यहां से हटाया जाए या इन्हें बर्खास्त कर दिया जाए।अब देखना है कि एंबुलेंस कर्मियों पर कौन सी कार्रवाई होती है।किंतु सवाल यह है कि जिस एंबुलेंस को सरकार ने मरीजों के तुरंत इलाज के लिए उपलब्ध कराई।क्या वह एंबुलेंस भी अब पैसों पर चलने लगी? सरकार की योजना थी कि मरीज को एंबुलेंस लाने में कहीं देर ना हो जाए।इस वजह से उत्तर प्रदेश सरकार ने 102 और 108 नंबर एंबुलेंस चलवाई कि मरीज को तुरंत और समय से इलाज मुहैया कराया जाए।किंतु यही एम्बुलेंस अब मरीजों के लिए जान का खतरा बनी हुई है।बहरहाल यह तो अभी जिले के केवल एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति बयां कर रहा है।क्या अन्य सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी एंबुलेंस कर्मियों की यही हाल है? यह तो अब संदेह के घेरे में है।

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