अनुज श्रीवास्तव/रंजीत सिन्हा
बिहार/पटना। शुक्रवार को हड़ताल के दूसरे दिन जिला प्रशासन की ओर से हड़तालियों से बातचीत की कोई पहल नहीं की गई। इस बीच ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन बिहार के महासचिव राजकुमार झा ने हड़ताल पर बैठे OLA एवं ubar के कैब चालकों से मुलाकात के बाद प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि ओला,उबर के द्वारा चालकों के शोषण के विरुद्ध इस आंदोलन में ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन पूरी तरह से साथ है और इस आंदोलन को मुकाम तक पहुंचाने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। राजकुमार झा ने बताया कि ओला एवं उबर जैसी मल्टी नेशनल कंपनिया कानून को ताक पर रखकर बिहार में कैब का परिचालन करवा रही है जिसके चलते कैब चालक आर्थिक शोषण के शिकार हो रहे हैं। मजे की बात ये है कि परिवहन विभाग के अधिकारी इसमें पूरी तरह से इन पूंजीपतियों को मदद कर रहे हैं। उन्होने कहा कि ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूं कि इन कंपनियों को परिचालन की अनुमति तो दे दी गई है मगर अभी तक इनका किराया तय नहीं किया गया है यानी ये अपनी मर्जी के हिसाब से किराया तय करने के लिए स्वतंत्र है।इतना ही नहीं शुरू में इन लोगों ने चालकों को प्रलोभन देकर बिना किसी कमीशन के अपने साथ जोड़ लिया और जब ये चालक कर्ज लेकर गाड़ी खरीद लिए तो अब ये इनसे 50% तक मनमाना कमीशन काट रहे हैं। ग्राहक से पैसा ओला के अकाउंट में जाता है जिसके चलते चालक मजबूर हैं।स्थिति ये है की चालक अपनी गाड़ी का किश्त भी नहीं चुका पा रहे हैं।एक और बड़ी मनमानी ये है कि ये कंपनिया कानून को ताक पर रखकर प्राइवेट वाहनों को भी कामर्शियल रूप में इस्तेमाल कर रही है और परिवहन विभाग और यातायात पुलिस मूकदर्शक बनी हुई है। ऑल इंडिया रोड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स फेडरेशन बिहार शनिवार को चालकों की मांग को लेकर परिवहन सचिव को ज्ञापन सौपेगा और सरकार से ये मांग करता है कि जल्द हीं चालकों की मांगों को सुना जाय अन्यथा इस आंदोलन को बड़े स्तर पर लड़ा जाएगा और इसकी सारी जवाबदेही जिला प्रशासन व राज्य सरकार की होगी।
प्रमुख मांगें:
1. अभी तक ओला,उबर, रैपिडो का किराया सरकारी स्तर पर तय नहीं है इसे तय किया जाय।
2. ये कंपनिया सर्विस चार्ज, GST एवं अन्य टैक्स के रूप में चालकों से राईडिंग चार्ज का 50% तक कमीशन काट लेती है। इस कमीशन को सरकारी स्तर पर तय किया जाय।
3.ओला,उबर एवं रैपीडो में प्राइवेट वाहनों के कामर्शियल इस्तेमाल पर अविलंब रोक लगाई जाए।
4. पटना में ओला एवं उबर का कहीं भी कार्यालय नहीं है। उनका कार्यालय होना जरूरी है ताकि चालक एवं यात्री कोई भी अपनी समस्या रख सके।
5. चालक कंपनी को सर्विस चार्ज देते हैं अगर कोई यात्री राईडिंग के बाद किराया नहीं देता है या राईडिंग के दौरान चालकों के साथ कोई अनहोनी हो जाती है तो इसकी जवाबदेही कम्पनी की होनी चाहिए।