अनुज श्रीवास्तव/संजय राव
बिहार/बेतिया । स्थानीय ईलम राम चौक स्थित पंचशील बौद्ध विहार में रविवार को संत गाडगे जी महाराज एवं संत रविदास की जयंती धूमधाम से बनाई गई। जिसमें कई वक्ताओं ने अपने-अपने विचारों को रखा। इस अवसर पर पंचशील बौद्ध विहार के रिटायर्ड डीएसपी रामदास बौद्ध ने कहा कि संत गाडगे जी महाराज संत- रविदास एक महान समाज सुधारक एवं एक क्रांतिकारी परिवर्तनकारी थे। जिन्होंने समाज को सुधारने एवं आगे बढ़ाने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। हमें उनसे सीख लेने की जरूरत है। ज्ञात होकि गाडगे जी महाराज का जन्म 23 फरवरी 1876 ईस्वी में महाराष्ट्र के अमरावती जिले के शेणगांव अंजना गांव में हुआ था। उनके बचपन का नाम डेबू जी सिंगराजी जानोरकर था। जिन्होंने कई धर्मशालाएं, गौशालाएं ,विद्यालय ,चिकित्सालय आदि का निर्माण कराया था। जबकि समाजसेवी नंदलाल ने कहा कि मनचंगा तो कठौती में गंगा का मतलब होता है कि आपके शरीर में जो मौजूद है यदि मन सही रहा तो सब कुछ सही रहेगा ।मनु पुत्र यानी कि अपने मन का पुत्र ।शंत लोग सत्य के मार्ग पर चलते हैं और यही बताते हैं और लोगों को भी इस पर चलने की बात करते हैं ।संता लोग धन संपत्ति के लिए नहीं होते हैं। संत गाडगे जी महाराज एवं रविदास राष्ट्रीय संत थे ।संत निस्वार्थ होते हैं ।जैसे की गाडगे जी महाराज एवं रविदास ।इन्होंने हमेशा जात-पात का विरोध किया। गाडगे जी महाराज पहले संत थे जिन्होंने शिक्षा और सफाई पर बात की। वही उषा बौद्ध ने कहा कि हमारा समाज अंधविश्वास में लगा रहता है ।इससे दूर रहने की आवश्यकता है। विशेष कर महिलाएं जो अंधविश्वास में ज्यादा उलझी हुई है। उन्हें इससे दूर जाने की जरूरत है ।आशा बौद्ध ने कहा कि हम लोगों को पाखंड से दूर जाना चाहिए। प्रकृति के नियम के अनुसार हमें काम करना होगा। स्वर्ग नरक नहीं है ।आपका कर्म ही स्वर्ग नरक तय करता है ।राकेश फूले ने कहा कि सबसे पहले अपने को जाने क्या हम अपने आप को शुद्र मानते हैं । जिन्होंने तेल निकाला ,चमड़े का काम कर जूता चप्पल बनाया, जो भी काम करने वाले हैं वह शूद्र कहलाए और जो सिर्फ बात बनाने वाले हैं वह ऊपर हो गया। रिटायर्ड श्रम परिवर्तन पदाधिकारी ने कहा कि यहां जो भी है सभी संत गाडगे है और रविदास है ।हमें लोगों के बीच जाकर उनके विचारों को फैलाना होगा। वही रिटायर्ड शिक्षक दो गोरखपुर प्रसाद मस्ताना ने कहा कि शुद्ध ने सारे आंदोलन की उन्होंने सारा काम किया है किंतु नाम होता है किसी और के हमें यह समझना होगा और समाज को अंधविश्वास से निकलना होगा। मौके पर ओबीसी -दलित एकता मंच के संयोजक एस.के. राव, मनोज यादव ,रामकिशोर बैठा ,शंभू पटेल सहीत कई अन्य उपस्थित रहें।