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पूरा घुटना नहीं, सिर्फ खराब हिस्से को बदलना संभव – पारस एचएमआरआई

पारस एचएमआरआई की ओर से आयोजित पटना नी-ऑर्थोप्लास्टी कोर्स में देशभर के करीब दो सौ डॉक्टरों ने लिया हिस्सा

अनुज श्रीवास्तव/रंजीत सिन्हा
बिहार/पटना। घुटना प्रत्यारोण के विषय में आम लोगों में यह धारणा है कि यह पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाता है जबकि सच्चाई यह है कि तकनीक के इस युग में यह प्रत्यारोपण 80 से 90 फीसदी मौकों पर सफल रहता है। कई बार मरीज के घुटने का कुछ हिस्सा ही खराब होता है ऐसी स्थिति में यूकेआर (यूनिकोम्पार्टमेंटल नी रिप्लेसमेंट) विधि से उस हिस्से को ही बदला जाता है। बाकी हिस्सा यथावत रहता है। पारस एचएमआरआई पटना की ओर से आयोजित दो दिवसीय “पटना नी-ऑर्थोप्लास्टी कोर्स” में ये बातें सामने आईं। ओरेफ इंडिया (ऑर्थोपेडिक रिसर्च एंड एजुकेशन फाउंडेशन) के सहयोग से 25 और 26 नवम्बर को आयोजित इस कोर्स के दौरान घुटने से जुड़ी सभी समस्याओं और इसके निदान पर विस्तृत रूप से चर्चा की गयी। आयोजन सचिव डॉ. अरविंद प्रसाद गुप्ता (चीफ कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक) एवं आयोजन सचिव डॉ. रत्नेश सिंह (सिनियर कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक) ने बताया कि देशभर के करीब दो सौ विशेषज्ञ और जूनियर डॉक्टरों ने इसमें हिस्सा लिया। इसमें दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, रांची समेत देश के कई राज्यों के विशेषज्ञ डॉक्टर शामिल थे।

आयोजन अध्यक्ष डॉ. जॉन मुखोपाध्याय (डायरेक्टर, ऑर्थोपेडिक एण्ड जोआइंट रिप्लेसमेंट) ने बताया कि कोर्स के दौरान पारस एचएमआरआई और सेल्वी हॉस्पिटल अहमदाबाद के डॉक्टरों ने लाइव सर्जरी भी करके दिखाई और नए ऑर्थोपेडिक सर्जनों को इसके बारे में विशेष जानकारी दी। इस कोर्स में शामिल जूनियर डॉक्टरों को सर्टिफिकेट भी दिया गया। कार्यक्रम में घुटने के प्रत्यारोपपण, उम्र के साथ घुटने में खराबी, घुटने में किसी तरह की चोट या गठिया संबंधी विषयों पर विस्तार से चर्चा की गयी।
कार्यक्रम में दिल्ली से डॉ. सीएस यादव, कोलकाता से डॉ. विकास कपूर, मुंबई से डॉ. एसएस मोहंती एंव दुर्गापुर से डॉ. निर्मल जाजोदिया ने अपने विचार रखे।
इस पूरे कार्यक्रम के बारे पारस हेल्थ के जोनल डायरेक्टर डॉ. विक्रम सिंह चौहान ने कहा कि कार्यक्रम बेहद सफल रहा। जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए इतना बड़ा आयोजन हुआ, उसमें शत प्रतिशत सफलता मिली। इस तरह के कार्यक्रम से बीमारियों का बेहतर इलाज करने में मदद मिलती है। डॉक्टर्स बीमारी के इलाज के लिए इस्तेमाल किए गए पद्धति, तकनीक, सामने आए चैलेंज और समाधान पर बात करते हैं। इसका सीधा फायदा मरीजों को मिलता है।
पारस एचएमआरआई के बारे में
पारस एचएमआरआई, पटना बिहार और झारखंड का पहला कॉर्पोरेट हॉस्पिटल है। 350 बिस्तरों वाले पारस एचएमआरआई में एक ही स्थान पर सभी चिकित्सा सुविधाएं हैं। हमारे पास एक आपातकालीन सुविधा, तृतीयक और चतुर्धातुक देखभाल, उच्च योग्य और अनुभवी डॉक्टरों के साथ अत्याधुनिक चिकित्सा केंद्र है। पारस इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर केयर बिहार में अपनी विशेषज्ञता, बुनियादी ढांचे और व्यापक कैंसर देखभाल प्रदान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल के लिए प्रसिद्ध है।

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