अनुज श्रीवास्तव
बिहार/जीरादेई। भारत के प्रथम राष्ट्रपति देशरत्न डा0 राजेंद्र प्रसाद की जन्मस्थली जीरादेई बिहार को गौरवान्वित करता है। मगर इन दिनों प्रखंड कार्यालय जीरादेई दलालों और चाटुकारों का अड्डा बन गया है। जहां एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सुशासन बाबु के नाम से विख्यात हैं वहीं दूसरी ओर उन्हीं के शासनकाल में प्रखंड सह अंचल कार्यालय जीरादेई में कोई भी सरकारी कार्यों के निष्पादन के लिए कर्मचारियों और दलालों को चढ़ावा देना पड़ता है। चाहे वो म्यूटेशन का काम हो,निवासी,आय या कोई भी योजनाबद्ध सेवा हो,बगैर चढ़ावा के पुरा करवाने में जनता को यहां के कर्मचारी नाको चने चबवा देते हैं।
विदित है कि प्रदेश में जमीन संबंधित कानून में कई तरह के बदलाव किये गये हैं। जिसका डायरेक्ट कनेक्शन प्रखंड सह अंचल कार्यालय से है। यही नहीं जनता अभी पुरी तरह से इन कानूनों को जान भी नहीं पाई है। बस इसी का फायदा उठाकर यहां के कर्मचारी और उनके दलाल तरह-तरह कागज का डिमांड करते हैं और परेशानियां बताते हैं। जनता कार्यालय का चक्कर काटते हुए त्राहिमाम बोल जा रही है। उसके बाद तब लेन-देन की बात तय होती है और आनन-फानन में काम हो जाता है। स्थिति ये है कि प्रखंड कार्यालय के अनैतिक रवइयों से तंग होकर स्थानीय जनता में रोष व्याप्त है। समय रहते सरकार इस पर कड़ी कार्रवाई करे नहीं तो सुशासन बाबु के छवि पर असर पड़ेगा।