गृहाना वेटलैंड में ‘इको-स्टॉप’ का उद्घाटन, मंत्री राणा ने संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयासों का किया आह्वान
जैव विविधता और पर्यावरणीय शिक्षा के लिए होगा नया केंद्र

सबका जम्मू कश्मीर
जम्मू, 27 जुलाई : जम्मू-कश्मीर में इको-टूरिज्म और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए वन, पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी मंत्री जावेद अहमद राणा ने आज अंतरराष्ट्रीय महत्व के गृहाना वेटलैंड में अत्याधुनिक ‘इको-स्टॉप’ भवन का विधिवत उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने उमर अब्दुल्ला सरकार की ओर से पारिस्थितिक धरोहरों की सुरक्षा के प्रति संकल्प को दोहराया।
मंत्री राणा ने गृहाना वेटलैंड को “सिर्फ एक आर्द्रभूमि नहीं, बल्कि जीवंत पारिस्थितिक संतुलन और प्राकृतिक विरासत का प्रतीक” करार दिया। उन्होंने कहा कि यह स्थल बार-हेडेड गूज जैसे प्रवासी पक्षियों का ठिकाना है, जो मध्य एशिया से हर साल यहां पहुंचते हैं।
राणा ने कहा कि, “वेटलैंड्स सिर्फ भौगोलिक संरचनाएं नहीं, बल्कि जीवनदायिनी तंत्र हैं जो जल संतुलन बनाए रखने, जैव विविधता की रक्षा और आजीविका प्रदान करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इनका संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है, कोई विकल्प नहीं।”
मंत्री ने वन्यजीव संरक्षण विभाग की ओर से वेटलैंड में स्थापित की गई पर्यटक-अनुकूल सुविधाओं—जैसे टेन्साइल शेड, व्यूइंग डेक्स, बैठने की व्यवस्था और जानकारीपूर्ण साइनेज—की सराहना की और कहा कि ये सुविधाएं गृहाना को छात्रों, शोधकर्ताओं, पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए और भी आकर्षक बनाएंगी।
उन्होंने कहा कि ‘इको-स्टॉप’ केवल एक भवन नहीं, बल्कि जागरूकता, शिक्षा और सामूहिक सहभागिता का प्रवेशद्वार है। यह एक ऐसा केंद्र बनेगा, जो पक्षीप्रेमियों और पर्यावरण शोधकर्ताओं को वैश्विक स्तर पर आकर्षित करेगा।

कार्यक्रम के दौरान राणा ने यह भी बताया कि पिछले वर्ष गृहाना वेटलैंड ने 40,000 से अधिक पर्यटकों को आकर्षित किया, और इसे एक प्रमुख इको-टूरिज्म स्थल के रूप में विकसित करने का लक्ष्य है जिससे स्थानीय आजीविका को बढ़ावा मिल सके।
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मत्री ने विभागीय अधिकारियों, फील्ड स्टाफ, स्थानीय समुदायों और सभी हितधारकों को इस ‘पारिस्थितिक रत्न’ के संरक्षण में उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया और कहा कि सामुदायिक सहभागिता के बिना पर्यावरण संरक्षण संभव नहीं।
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इस अवसर पर चेयरपर्सन डीडीसी जम्मू भरत भूषण, विधायक सुचेतगढ़ गरु राम भगत, डीडीसी सदस्य तरनजीत सिंह टोनी, पीसीसीएफ सुरेश कुमार गुप्ता, पीसीसीएफ (वन्यजीव) सर्वेश राय और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
राणा ने अंत में नागरिकों, युवाओं और संस्थानों से आह्वान किया कि वे आगे आकर पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी निभाएं। उन्होंने कहा, “आज हम सब यहां से यह संकल्प लेकर जाएं कि गृहाना जैसी धरोहरों को संरक्षित रखना हमारी जिम्मेदारी भी है और आने वाली पीढ़ियों से किया गया वादा भी।”