अनुज श्रीवास्तव/रंजीत सिन्हा
बिहार/खगौल। मकर संक्रांति का त्योहार खाने-पीने के मामले में विशेष रूप से समृद्ध होता है। इस त्योहार पर चूड़ा, दही, गुड़, तिलकुट, तिल के लड्डू, मस्का, बादाम पट्टी,लाई आदि खाने की परंपरा है। शहर में मकर संक्रांति की तैयारी दिखने लगी है। बाजार में तिलकुट की सोंधी खुशबू आने लगी है। जगह जगह तिलकुट की दुकानें सज गई हैं। कुछ तिलकुट कारोबारी कारीगरों से तिलकुट तैयार करवा रहे हैं तो कुछ दुकानदार तैयार तिलकुट खरीद कर बिक्री कर रहे हैं।
जयराम बाजार स्थित साहेब शाही तिलकुट भंडार के मो.रिंकू पिछले कई सालों से अपनी दूकान में खुद तैयार करवा कर तिलकुट बिक्री करने का काम करते हैं। वे गया के बेहतरीन कारीगरों को तिलकुट तैयार करने के लिए बुलाते हैं। गुड़, चीनी व खोवा वाले तिलकुट के साथ काला तिलवा,लाल तिलवा व बादाम पट्टी की उनके यहां काफी डिमांड रहती है। उनके यहां के कारीगर रोज 100 किलो से अधिक तिलकुट तैयार कर रहे हैं। तिल के दाम बढ़ने पर भी तिलकुट की कीमतों में पिछले साल के मुकाबले उन्होंने कोई बढ़ोतरी नहीं की है। गया के तिलकुट के नाम और स्वाद से सभी परिचित हैं। वैसे तो ठंड शुरू होते ही तिलकुट की बिक्री शुरू हो जाती है,पर मकर संक्रांति से पहले इसकी बिक्री तेज हो जाती है। आपको बता दें कि खगौल जयराम बाजार के घिरनी पर साहेब शाही तिलकुट भंडार नाम की एक बेहतरीन दुकान सज गई है और खरीदार भी वहां पर बड़े पैमाने पर पहुंचने लगे हैं।
दुकानदार मो.रिंकू ने बताया कि कई साल से गया के मशहूर कारीगरों के हाथों तिलकुट कुटवाकर लोगों को बेहतरीन और लजीज स्वाद देते आ रहे हैं। हमारे यहां के बेहतरीन स्वाद को देखते हुए मकर संक्रांति के समय 10 जनवरी से ही ग्राहक तिलकुट की एडवांस बुकिंग कराते हैं। हर साल गया से कारीगर आते हैं, जो चीनी और गुड़ की अलग-अलग तिलकुट तैयार करते हैं। यहां रोज लगभग 100 किलो तिलकुट की बिक्री हो जाती है। यहां पर बनाया गया तिलकुट अन्य दुकानों में भी भेजा जाता है और यहां पर ग्राहक थोक रेट में खुदरा तिलकुट खरीदते हैं।