जम्मूजम्मूजम्मू कश्मीर

54 साल हो गये नाम दीक्षा देते हुए:- सद्गुरु श्री मधु परमहंस जी महाराज।

सबका जम्मू कश्मीर।


अखनूर/जम्मू।
साहिब बंदगी के सद्गुरु श्री मधु परमहंस जी महाराज, जिनको प्यार से भक्तजन साहिब जी भी कहते हैं को आज सत्य नाम की दीक्षा देते हुए 54 साल हो गये। 20 वर्ष की आयु में 1970 में अपने नाम दीक्षा देना शुरू किया था। इस शुभ अवसर पर आज राँजड़ी में अपने प्रवचनों से अध्यात्म ज्ञान का संदेश देते हुए साहिब जी ने कहा कि हम किसकी भक्ति करें। कबीर साहिब कह रहे हैं कि एक पुरुष है, जो सबसे न्यारा है। वो सब घट में व्याप्त है। हजारों शब्दों में साहिब ने उस परम पुरुष के लिए बोला है। जैसे चकमक में आग है, जैसे फूल में खुशबू है, ऐसे ही वो सत्य पुरुष आपमें है। फिर मनुष्य बाहर क्यों भटक रहा है। यह लोगों ने अपनी तरफ से किया है।
एक महिला मेरे पास आई। वो टीचर थी। उसके मुँह पर बड़ा-सा काला दाग था। मैंने पूछा कि क्या हुआ तो बोला कि छोटी-सी फुंसी निकली थी। मैंने थोड़ा खुजाला तो थोड़ी बड़ी। किसी ने बोला कि इसमें चूना लगा दो। किसी ने बोला कि सुबह इस पर थूक लगाना। कोई कहा कि धूप लगाना। बोला कि मैं सबका फार्मूला करती गयी। उसका परिणाम यह हुआ कि अभी यह पूरी जगह काली हो गयी है। अब डाक्टर कह रहा है कि इस दुनिया में कोई इलाज नहीं है। ठीक इसी तरह यह मनुष्य भी परमात्मा तत्व की खोज अलग अलग तरीकों से कर रहा है। अजीब अजीब तरीके से कर रहा है। यह किसके आदेश से ऐसा ऐसा कर रहा है।
पहले लोग बहुत सारी बीमारियों से मर जाते थे। अभी चिकित्सा विज्ञान ने बड़ी खोज कर ली है। उनके पास बहुत अच्छे अच्छे आले हैं। छोटी छोटी कोशिकाओं को भी देख लेते हैं। दवा कर लेते हैं। पहले बालक गर्भ में ही मर जाते थे। भारत में यह दर बहुत थी। अब डाक्टर लोगों ने ऐसी दवाइयाँ निकाली कि इलाज पेट में ही कर रहे हैं। इस तरह संसार में नाना पंथ हैं, जो अपने अपने इष्ट की बात कर रहे हैं। सच्चा गुरु सबका सार बताकर सत्य मार्ग बताता है।
जैसे मृग की नाभि में कस्तूरी है, पर वो उसकी खुशबू को कहीं बाहर समझकर भटक भटक कर प्राण गँवा देता है, पर खुशबू कहाँ से आ रही है, नहीं जान पाता है। इस तरह इंसान उसकी खोज में बाहर भटक रहा है। वो सत्ता साथ में है, पर दिखाई नहीं दे रही है। ऐसा क्यों। वो दिव्य दृष्टि से नज़र आयेगा। यह दिव्य दृष्टि आपके ध्यान में है। ध्यान को सच्चे सद्गुरु में लगाने से दिव्य दृष्टि आ जायेगी। तब आप उस परम सत्ता को जान सकते हैं।

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