नीतीश शायद अब नहीं बनना चाहेंगे पल्टीमार मख्यमंत्री। सदन में हासिल किया बहुमत।
आलेख : अनुज श्रीवास्तव
बिहार विधानसभा में पेश हुए अविश्वास प्रस्ताव में नीतीश सरकार ने एक तरफा बहुमत हासिल कर लिया। नीतीश सरकार के पक्ष में 130 मत पड़े जब कि वोटिंग से पहले ही राष्ट्रीय जनता दल सदन से वाकआऊट कर गया।
हम इस बात पर गौर करें कि नीतीश कुमार आखिर पल्टीमार की उपाधि लेकर भी पुन: मुख्यमंत्री की कुर्सी कैसे हासिल कर लेते हैं। मानना पड़ेगी कि नीतीश राजनीति के कोई मामूली शख्शियत नहीं हैं। कहीं न कहीं ये बात उन्होंने खुद ही साबित कर दिया है कि उनके फैसले उनके छाया को भी मालुम नहीं होता। और भाजपा से एक लंबा रिश्ता उनके मानस पटल पर ज्वार मारता है। ये भी एक कारण है पुन: भाजपा से मिलकर सरकार बनाने का।
अब आते हैं भाजपा के साथ देने पर। आप देखे होंगे कि इनके पार्टी का हर बड़ा नेता नीतीश के लिए दरवाजे बंद कर लिया था। मगर वही दोनों के पुराने और मजबूत रिश्ते ने पुन:एक बार फिर जोड़ दिया। रही बात राजनीतिक बलिदान की तो इसमें भाजपा सभी पार्टियों से अलग है।
भाजपा के इतिहास से आप सभी शायद वाकिफ होंगे। इतनी जल्दी वर्ल्ड की सबसे बड़ी राजनीतिक दल बन जाना ये कोई मामूली बात नहीं है। क्या वजह है कि पुरे विश्व स्तर पर विरोधियों द्वारा चलाये गये एजेंडो के वाबजूद भाजपा बढ़ता ही चला जा रहा है। तो हम मानते हैं कि इनके पार्टी के संस्थापक नेताओं और वर्तमान में मोदी-योगी तक सनातन संस्कृति और राष्ट्रभक्ति से पुरी तरह ओत-प्रोत हैं। मोदी कोई गांधी नहीं बल्कि आंधी का प्रतीक बनते जा रहे हैं। उनको परास्त करने का हर हथकंडा फेल हो जा रहा है।
अब तो बात ऐसी हो गयी है कि ट्रेन में,बस में,होटल में या अन्य सार्वजनिक स्थलों पर आप देश के बल और शौर्य की बात करें तो भी लोग आपको भाजपाई कह देंगे। भले ही आप मोदी की बात न करेंं। यानि कि भाजपा देश की पर्याय बन चुकी है। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी के उटपटांग बयानों ने भी भाजपा को मजबूत किया है।