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अब दुर्लभ होते जा रहे हैं शाद अजीमाबादी जैसे शायर : भगवती प्रसाद द्विवेदी

अनुज श्रीवास्तव/रंजीत सिन्हा
बिहार/पटना सिटी, 7 जनवरी । सामाजिक कार्यकर्ताओं, राजनेताओं एवं संस्कृति कर्मियों ने आज कालजयी शायर खान बहादुर नवाब सैयद मोहम्मद शाद अजीमाबादी को उनकी 97वीं पुण्यतिथि पर स्मृति समारोह में स्मरण किया और श्रद्धांजलि दी।शाद अजीमाबादी पथ,लंगड़ गली, हाजीगंज में उनकी मजार पर चादरपोशी व गुलपोशी कर फातिहा के साथ उन्हें नमन किया गया।
स्थानीय अरोड़ा हाउस, हाजीगंज में सामाजिक सांस्कृतिक संस्था नव शक्ति निकेतन के साहित्यिक प्रकोष्ठ शाद अजीमाबादी स्टडी सर्किल के तत्वावधान में आयोजित शाद अजीमाबादी स्मृति सभा की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने की।समारोह का संचालन महासचिव कमलनयन श्रीवास्तव ने किया।इस मौके पर वरिष्ठ कवि अनिरुद्ध सिंह, मुंगेर एवं वरिष्ठ शायर जफर सिद्दीकी को शाद अजीमाबादी सम्मान 2024 से तथा कमल किशोर वर्मा ‘कमल’, ज्योति मिश्रा, डॉक्टर कैसर जाहीदी, मोहम्मद मुस्तफा गजाली को साहित्य और समाज सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया ।

अध्यक्षीय संबोधन में वरिष्ठ कवि व साहित्यकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने शाद की तुलना ग़ालिब और इकबाल जैसे शायरों से की और कहा कि शाद गजलों के बेताज बादशाह थे। उन्होंने शाद की याद में अपनी बात रखते हुए कहा,कहां है ये लोग…। उन्होंने पंच परमेश्वर में पात्र जुम्मन शेख और अलगू चौधरी की चर्चा भी की ।
अपने उद्गार में बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष डॉ अनिल सुलभ ने कहा कि शाद उर्दू के मुकम्मल शायर थे और आज शाद की रचनाओं को अपने जीवन में उतारने की जरूरत है ताकि एक अच्छे समाज का निर्माण हो सके। अजीमाबाद साहित्यकारों और क्रांतिकारियों की जन्म और कर्मभूमि रही है और हमें इस जमीन पर नाज है ।
वहीं दूरदर्शन, पटना के कार्यक्रम प्रमुख डॉ राजकुमार नाहर ने शाद की नज्मों को आज भी प्रासंगिक बतलाया। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष से उनकी पुण्यतिथि पर दूरदर्शन पटना की ओर से मुशायरा सह कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।
वहीं मंच संचालक कमलनयन श्रीवास्तव ने कहा कि शाद की नज़्मों में मुल्क का दिल धड़कता है।शाद राष्ट्रीय एकता के पक्षधर शायर थे ।
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि शाद अजीमाबादी पथ का शिलापट्ट तक नहीं लगाया जाना और शिलापट्ट के बाद भी शाद अजीमाबादी पार्क का निर्माण नहीं होना, सरकारी उपेक्षा के ज्वलंत उदाहरण है। उनका सबसे बड़ा दुर्भाग्य था कि ये बिहार में पैदा हुए। लोगों ने शाद की मजार को राष्ट्रीय संग्रहालय घोषित करने, उनपर स्मारक डाक टिकट जारी करने, उनकी स्मृति में हर वर्ष हिंदी और उर्दू के साहित्यकारों को नामित सम्मानों से अलंकृत करने की मांग बिहार सरकार और मुख्यमंत्री से की। लोगों ने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा शिलान्यास किए गए पार्क को अतिक्रमण से मुक्त कराकर आम जनता के लिए उपलब्ध कराया जाए और शाद अजीमाबादी पथ पर शिलापट्ट लगवाया जाए यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
नव शक्ति निकेतन के अध्यक्ष रामाशंकर प्रसाद ने कहा कि जून माह में एक शाम शाद के नाम कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा।साथ ही शाद की रचनाओं का हिंदी अनुवाद संस्था की ओर से प्रकाशित कराया जाएगा।
शाद की परपौत्री डॉक्टर शहनाज फात्मिक ने शाद की रचनाओं को एकत्रित कर शाद समग्र के रूप में प्रकाशित करने,उनके दुर्लभ रचनाओं का पुनर्प्रकाशन हिंदी तथा अन्य भारतीय भाषाओं में करने की मांग सरकार से की ।
अरोड़ा हाउस, हाजीगंज में आयोजित कवि सम्मेलन और मुशायरा में काफी देर तक रंग जमा रहा । मुजफ्फरपुर से आई डॉक्टर आरती कुमारी, प्रेम किरण, डॉ रूबी भूषण, आराधना प्रसाद, अनिरुद्ध सिंह, ज्योति मिश्रा, कमल किशोर वर्मा ‘कमल’, भगवती प्रसाद द्विवेदी, शुभ चंद्र सिन्हा , जफर सिद्दीकी,मोहम्मद नसीम अख्तर, मावर रसीद, डॉक्टर एहसान शाम, डॉ शहनाज फातमी,मेहता नागेंद्र नाथ सिंह आदि ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। धन्यवाद ज्ञापन एहसान अली असरफ ने किया।

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