अनुज श्रीवास्तव/संजय राव
बिहार/बेतिया। इदारा ए अदब इस्लामी हिन्द बेतिया की ओर से प्रोग्रेसिव कोचिंग इंस्टिचियुट, गुलाब बाग़ में अंतरराष्ट्रीय ख्याती प्राप्त शायर मनौवर राणा को एक गोष्ठी आयोजित कर श्रध्दांजलि दी गई । इस गोष्ठी की अध्यक्षता की शहर के बुज़ुर्ग उस्ताद शायर अबुलख़ैर निशतर ने जब कि संचालन संस्था के अध्यक्ष मोहम्मद क़मरुज़्ज़मा क़मर ने की। प्रोग्राम का प्रारंभ हाफ़िज मोहम्मद क़ुर्बान नदवी द्वारा तिलावते कलामे पाक और उसके तर्जुमा से हुआ तत्पश्चात संस्था के सेक्रेट्री फ़हीम हैदर नदवी ने मनौवर राणा को ख़िराजे अक़ीदत पेश करते हुए उनके जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उन्हें गुलिस्ताने शायरी में क़लबी वारदात, एहसासात और जज़्बात की चिंगारी से अपने आप को परिचय कराने वाला बताया। सफ़दर हुसैन प्राचार्य केदार पाण्डे उच्चतर माध्यम विद्यालय ने कहा की हर जानदार को मौत का मज़ा चखना है इस सच्चाई से इंकार नहीं किया जा सकता ताहम मनौवर राणा की मृत्यू से से उर्दू साहित्य को जो नुक़सान हुआ है उसकी तलाफ़ी मुमकिन नहीं माँ के हवाले से ग़ज़ल कहने वाले वह पहले शायर थे। संस्था के अध्यक्ष मोहम्मद क़मरुज़्ज़मा क़मर ने शायर मनौवर राणा को ख़िराजे अक़ीदत पेश करते हुए अपने मुख़तसर मज़मून में उन्हें गंगा जमूनी तहज़ीब का अलमबर्दार और मिट्टी की सोंधी ख़ुशबु का अज़ीम शायर बताया और उनके चुनिन्दा अशआर प्रस्तुत किया ।
सभा के अध्यक्ष अबुलख़ैर निशतर ने उन्हें ख़िराजे अक़ीदत पेश करते हुए कहा कि मनौवर राणा जितने बड़े शायर थे उतने ही अच्छे और मिलंसार इंसान भी थे उनकी रेहलत से उर्दू साहित्य को बहुत नुक़सान पहुंचा है । डॉ ज़फ़र ईमाम ने इतने कम समय में इतना शानदार आयोजन के लिए संस्था को सराहा, मनौवर राणा को ख़िराजे अक़ीदत पेश करते हुए उनकी मग़फ़िरत की दुआ की उनके पसमंदगान के सब्र की कामना करते हुए उन्हें ख़ालिस हिन्दुस्तानी भाषा का शायर बताया। अरुण गोपाल ने कहा की इस महीने में दो महान कलाकारों मनौवर राणा और राशिद अली का स्वर्गवास होना बहुत दुखद है मैं इन दोनो महान विभूतियों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी आत्मा की शांति के लिए इश्वर से प्राथना करता हुँ । डॉ एम आरिफ़ ने ख़िराजे अक़ीदत पेश करते हुए मनौवर राणा को एक उम्दा लेखक, अनेकों अवार्ड से पुरस्कृत प्रख्यात शायर बताते हुए कहा की उनकी सोच थी के मदरसे ने उर्दू ज़ुबान की हिफ़ाज़त में अहम रौल अदा किया ।कवि एवं अधिवक्ता निखिल चंद पाण्डे ने मनौवर राणा को एक महान शायर बताते हुए श्रध्दांजलि दी और इस संदर्भ में अपनी रचना भी प्रस्तुत की । प्रोफेसर एजाज़ अहमद और प्रोफेसर मुहसिन आलम ने मनौवर राणा को ख़िराजे अक़ीदत पेश करते हुए कहा कि मौत एक ज़िंदा हक़िक़त है इसके मद्दे नज़र इंसान को ऐसा काम करना चाहिए जिस से लोग उन्हें अच्छे नामों से याद करें मनौवर राणा ने पुरी संजीदगी से शेरो अदब की ख़िदमत की और अपना एक मुक़ाम बनाया । जमाते इस्लामी हिन्द बेतिया के अमीरे मुक़ामी मोहम्मद अली ने कहा की मनौवर राणा एक अज़ीम शायर थे जिन्हें ख़ुदा ने एक दर्दमंद दिल दिया था जिस कारण वह जनता की समस्याओं को अपनी शायरी के माध्यम से प्रस्तुत करते, उनकी नज़्म मुहाजिर नामा को बहुत मक़बुलियत मिली, मैं उनकी मग़फ़िरत के लिए अल्लाह से दुआ गो हूँ । अंत में संस्था के सेक्रेट्री ने अतिथीयों का आभार प्रकट किया । इस गोष्ठी में उपरोक्त वक्तागण के अतिरिक्त मोहम्मद अमानुल्लाह, चंदेशवर कुमार, एस. के. राव, अनील अनल, मजीद ख़ाँ मजीद, सानिया प्रवीण एवं मुस्कान कुमारी की सराहनीय उपस्थिती एवं भूमिका रही ।