पूर्णियाबिहार

अलग पहचान है काँग्रेस नेता अनिल सिंह चंन्द्रवंशी का

अनुज श्रीवास्तव/संजय सिंह
बिहार/पूर्णिया। जिले के काँग्रेसी नेताओं की सुमार नामों में एक प्रभावशाली नाम आता था अनिल सिंह चंन्द्रवंशी का ।
इनका जन्म 15 जनवरी 1960 को जिला मुख्यालय स्थित शहर के मधुबनी में एक व्यवसायिक परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम स्व छत्रधारी सिंह है । उस जमाने में इंटरमीडिएट स्तर तक की पढ़ाई करने वाले श्री अनिल सिंह चंन्द्रवंशी ने छात्र जीवन से हीं राजनीति के प्रति जागरूक थे । जिन्होंने युथ काँग्रेस से अपने राजनैतिक कैरियर की शुरूवात की ।

1990 में युवा काँग्रेस कमेटी के जिला महामंत्री के रूप में एक टर्म काम करने के बाद उनके कार्यशैली से प्रभावित होकर पार्टी नेतृत्व द्वारा उन्हें जिला काँग्रेस कमेटी के उपाध्यक्ष बनाये गये ।

जिलाध्यक्ष कृष्ण कुमार मंडल के निधन के बाद वे लगातार 03 ( तीन ) टर्म काँग्रेस पार्टी के पिछड़ा / ओबीसी प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष के पद पर रहकर पार्टी एवं समाज का सेवा कार्य करते हुए जिला में पार्टी को अलग पहचान दिलाने का काम किया ।
इस बीच उन्होंने वर्ष 2000 ई में पूर्णिया सदर विधानसभा क्षेत्र से स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव भी लड़ा ।

दलीय राजनीति के अलावे सामाजिक क्षेत्र में भी उनका एक अलग और खास पहचान होने के कारण वे लगातार 30 वर्षों से जनवितरण केन्द्र के डीलरों का संगठन आल इण्डिया फेयर प्राईस शॉप एसोसिएशन , पूर्णिया जिला इकाई के अध्यक्ष के पद पर आसीन होकर कार्य कर रहे हैं ।
वे वर्तमान वर्ष 2023 में विगत दिनों आगामी सत्र के लिए हुई सांगठनिक चुनाव में
आल इण्डिया फेयर प्राईस शॉप एसोसिएशन के पूर्णिया जिला इकाई के अध्यक्ष के पद पर एक बार पुनः चुनें गये हैं ।

दो पुत्र अभिषेक कुमार सिंह उर्फ मित्तू और सौरभ सिंह तथा एक पुत्री श्वेताम्बरा सिंह वाले अनिल सिंह चंन्द्रवंशी वर्तमान में पार्टी के अंदर गुटबाजी के कारण गुमनामी की जिंदगी जी रहे हैं । काश कि पार्टी इन्हें पहचान कर एक अवसर देने का काम करती तो पार्टी का हीं हित होता ।

मालूम हों कि श्री अनिल जिस वर्ग और ओबीसी समाज से आते हैं । पूर्णिया जिले और विधानसभा क्षेत्र में उसकी आबादी भी अच्छी खासी स्थिति में होने के साथ साथ उनका अन्य सभी समुदाय व जातीयों में भी उनकी अच्छी पकड़ है । इस वजह से वे विधानसभा चुनाव आसानी से जीतने की क्षमता रखते हैं ।

अतः पार्टी आलाकमान को चाहिए कि इनकी पहचान कर एक बार इन्हें भी विधानसभा में चुनाव लड़ने का अवसर प्रदान करना चाहिए । ताकि इन्हें भी अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने का मौका मिल सके ।

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