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अकादमिक क्षेत्र में मौलिक एवं गुणवत्ता युक्त कार्य द्वारा शैक्षणिक संस्थाओं को गरिमा प्रदान करने पर राष्ट्र को स्वतः विश्वगुरु की मान्यता प्राप्त होगी: कुलाधिपति

अनुज ‌‌श्रीवास्तव/रंजीत सिन्हा
बिहार/पटना। गुरुवार को इतिहास लेखन एवं शोध पद्धति और इतिहास लेखन नामक दो पुस्तक का लोकार्पण राज्यपाल सह कुलाधिपति, बिहार राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर के कर कमलों से राजभवन सभागार में संपन्न हुआ जिसमें लेखक प्रो. जयदेव मिश्रा,प्रो.ब्रजेश पति त्रिपाठी एवं डॉ अविनाश कुमार झा ने पुस्तक के संबंध में चर्चा करते हुए बताया कि इस पुस्तक के लिखने का मुख्य उद्देश्य सुधी छात्रों को शिक्षा द्वारा ज्ञान में मौलिकता,शुचिता एवं शुद्धता के साथ भारतीय दृष्टि बोध एवं सांस्कृतिक विरासत युक्त आत्मविश्वास पैदा करना और अखंड भारत की संकल्पना युक्त संस्कृतिक एकता से अवगत कराना है। डॉ अविनाश कुमार झा ने रचना की प्रासंगिकता के सन्दर्भ में बताया कि राष्ट्रबोध की अवधारणा युक्त शिक्षा वैश्विकरण के दौरान काफी आवश्यक है। 21वीं सदी में अखण्ड भारत की स्थिति और उसकी अक्षुण्णता में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मान्यता और उस अनुरूप व्यक्तित्व के विकास के लिए पं. दीनदयाल उपाध्याय के शिक्षा दर्शन के आलोक में उपयोगी शिक्षा के लिए पाठयक्रम संरचना को प्रस्तुत कर नई सोच और मानसिकता के निर्माण से ही सक्षम आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। डॉ गुरू प्रकाश, एसोसिएट प्रोफेसर,विधि महाविधालय, पटना विश्वविद्यालय ने पुस्तक समीक्षा करते हुए कहा कि यह पुस्तक स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर में उपयोगी पाठ्यक्रम सामग्री के साथ साथ इतिहास लेखन एवं शोध कार्य में मार्गदर्शन के लिए लाभप्रद है।
इस अकादमिक समारोह में डॉ गुरू प्रकाश,एसोसिएट प्रोफेसर, विधि महाविधालय, पटना, प्रो.जयदेव मिश्रा, पटना विश्वविद्यालय पटना, प्रो.ब्रजेश पति त्रिपाठी पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय पटना, प्रो. योगेन्द्र कुमार, इतिहास विभाग,श्री अरविन्द महिला कॉलेज,पटना, प्रोफेसर अविनाश कुमार झा पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय पटना,कात्यायन कुमार त्रिपाठी, वरीय शिक्षक सह प्रधानाचार्य, प्राथमिक विद्यालय, गुलजारबाग, पटना की गरिमामयी उपस्थिति थी। सभी लोगों ने इस कार्य के लिए लेखकगण को बधाई दी, विशेषकर माननीय राज्यपाल श्री राजेन्द्र विश्वनाथ अर्लेकर ने इस तरह के गुणवत्ता युक्त अकादमिक प्रयास की निरंतरता के लिए प्रेरित करते हुए शुभकामनाएं दी। ज्ञात हो कि डॉ गुरू प्रकाश, एसोसिएट प्रोफेसर, विधि महाविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय पटना एवं कात्यायन कुमार त्रिपाठी, प्राथमिक विद्यालय के शिक्षकों ने इसके छात्रोपयोगी स्वरूप को दर्शाया।

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