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ये क्या किया रे यूपी वालों, तुमने ये क्या किया?

(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)

यूपी वालों, क्या चाहते हो? क्या तुम्हें यह चाहिए कि योगी जी फिर से यूपी का पुराना नाम वापस करा दें? वही पुराना नाम, उत्तर प्रदेश नहीं, उल्टा प्रदेश। बेचारे योगी जी ने कृपा कर के उल्टा प्रदेश से उत्तर प्रदेश भी नहीं, सीधे उत्तम प्रदेश नाम दिलाया था। काम में उत्तम होने तक इंतजार करने की जरूरत भी नहीं, नाम में ही उत्तम। मगर बेचारे को तुमने क्या सिला दिया? सीएम की कुर्सी जब दी थी, तब दी थी, इस बार वाले चुनाव में क्या दिया? हार! जो राम को लाए, उनको हार। और जो राम लला के नये भव्य घर में प्रवेश पर न्यौतने पर भी नहीं आए, वो अस्सी में से 44 पार। योगी जी ने मांगी अस्सी की अस्सी सीटें और मिलीं संगियों को भी जोड़कर कुल 36। ये कैसा मजाक है!

खैर, अस्सी की अस्सी नहीं देनी थी, नहीं देते। अस्सी में से चालीस भी नहीं देनी थीं, वह भी नहीं देते। संगियों को मिलाकर 36 देने में भी बोझ पड़ रहा था, उसमें भी एकाध की कमी कर लेते। पर ये क्या कि रामलला की नगरी में, अयोध्या-फैजाबाद की सीट पर भी हरा दिया। हराने को अगल-बगल की ज्यादातर सीटों पर भी हरा दिया, जो बुरा किया। पर ऐन, अयोध्या में हरा दिया! दो-दो बार से मोदी जी के नाम पर कुर्सी पा रहे लल्लू सिंह को धक्का देकर कुर्सी से उतारा सो उतारा, राम भक्तों के विरोधियों को कुर्सी पर बैठा दिया। और राम भक्तों के विरोधी भी ऐसे-वैसे नहीं, दलित। राम जी की नगरी और कुर्सी पर सवार ऐसा, जो छुआ जाए तो ब्रह्मतेज इतना डिस्चार्ज हो जाए कि रीचार्ज कराने को सरयू में तुरंत डुबकी लगानी पड़ जाए। राम को उंगली पकड़वाकर लाने वालों के साथ ऐसा मजाक!

फिर लल्लू सिंह को ही कुर्सी से उतारा होता, तो फिर भी भक्तगण बर्दाश्त कर लेते। पर बनारस में जो किया, उसका क्या? जिन मोदी जी को खुद गंगा मैया ने बुलाया है, उनके साथ ऐसा मजाक? बस लल्लू सिंह की तरह कुर्सी से उतरने की नौबत नहीं आयी, वर्ना यूपी वालों, तुमने क्या कोई कसर छोड़ी थी। गिनती के चार-पांच राउंड तक तो बेचारे की धुकधुकी भी बढ़ा के रखी कि कुर्सी रहेगी या जाएगी? और आखिरकार, बेचारे की जान बख्शी भी तो राम-राम कर के। राम-राम कर के जीत और वह भी तब जब रामलला को पर्सनली उंगली पकड़ाकर लाने के अलावा, जिसके पोस्टर सबने ही देखे थे, मोदी जी ने टीवी साक्षात्कारों में यह रहस्योद्घाटन भी कर दिया था कि वह बाकी इंसानों की तरह पैदा ही नहीं हुए हैं। उन्हें तो परमात्मा ने भेजा है, देश और देश की पब्लिक की सेवा करने के खास मिशन पर! बताइए, रामलला को लाने वालों के साथ जो सलूक किया सो किया, परमात्मा के दूत के साथ भी हराने की ठिठोली! यह दूसरी बात है कि अपने मोदी जी इस आपदा मेें से भी अवसर निकालने में नहीं चूके — सत्ता सवार प्रधानमंत्री के अब तक के सबसे कम वोट से जीतने का रिकार्ड तो, फिर भी उनके नाम ही रहा!

यूपी वालों, अब तो तुम्हारे एक ही काम का पुण्य तुम्हें बचाए तो बचाए। सुनते हैं कि अगले प्रधानमंत्री की अपनी च्वाइस में तुम लोगों ने राहुल गांधी को मोदी से आगे निकाल दिया। यानी बनारस, अयोध्या वगैरह ही नहीं, पूरे यूपी में मोदी वाला इंजन नहीं चला। यानी जो भी चला, योगी जी वाला इंजन चला। यानी केजरीवाल की भविष्यवाणी फेल; योगी जी को अब तो जब यूपी की पब्लिक हटाए तब हटाए, वर्ना और कोई नहीं है उन्हें हटाने वाला। यानी यहां भी आपदा में अवसर। वाह योगी जी वाह!

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और ‘लोकलहर’ के संपादक हैं।)

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