उ.प्रगाजीपुर

जिलाधिकारी गाजीपुर ने महाहर धाम शिव मंदिर एवं मेले के संबंध में की मीटिंग

अनुज ‌‌श्रीवास्तव/अवनीश सिंह
उ.प्र./गाज़ीपुर। जिला अधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक ने महाहर धाम शिव मंदिर एवं मेले के संबंध में मंदिर व्यवस्थापकों के साथ मीटिंग की।आगामी महाशिवरात्रि के त्यौहार पर महाहर धाम पर विशाल मेला लगता है।महाहर धाम गाजीपुर भक्तों के लिए बड़ा ही अटूट विश्वास का स्थल है।इसी को मद्देनजर रखते हुए जिलाधिकारी गाजीपुर एवं पुलिस अधीक्षक गाजीपुर ने मेले में किसी तरह की गड़बड़ी न हो और मेल सुचारू रूप से चला रहे इसके लिए वहां के मेला व्यवस्थापको एवं मंदिर व्यवस्थापकों के साथ मीटिंग की। मेले के दौरान सीसीटीवी कैमरे से निगरानी तथा किसी अप्रिय घटना से निपटने के लिए पर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था रखने के लिए निर्देशित किया।पुलिस अधीक्षक द्वारा बताया गया कि मेले के दौरान पर्याप्त संख्या में पुलिस बल तैनात रहेगी।

महाहर धाम के विषय में ऐसी किंवदंती है कि वहां पर भगवान भोलेनाथ की मूर्ति स्वयं अपने आप जमीन से निकल गई थी।इस मूर्ति के साथ ब्रह्मा जी की चार मुखी मूर्ति भी निकली थी। और कुछ अन्य मूर्तियां भी स्वयं प्रकट हो गई थी।जिसे देखकर वहां की जनता ने वहां मंदिर की स्थापना की।

महाहर धाम के बगल में श्रवणडीह गांव है जिसके संबंध में ऐसी कहावत है कि जब श्रवण कुमार अपने माता-पिता को लेकर जा रहे थे तो वही श्रवणडीह गांव के पास अपने माता-पिता की बहंगी रखकर महाहर धाम स्थित पोखरे पर पानी भरने आए थे उसी दौरान शब्दभेदी बाण चलाने वाले अयोध्या के राजा दशरथ जी भी शिकार करते हुए पहुंचे थे और उनके शब्दभेदी बाण से श्रवण कुमार की वही मृत्यु हो गई थी।बताया जाता है की महाहर धाम में राजा दशरथ की गढ़ी थी जहां की मिट्टी आज से 25 साल पहले भी लाल थी।अब उस स्थान पर सब दुकान स्थित हो गई है।

भैरव बाबा का भी मंदिर है स्थित—उक्त कहावत के संबंध में एक और किंवदंती बनती है महाहर धाम से 100 मीटर की दूरी पर पुरैना ताल है।इसके संबंध में बताया जाता है कि वहीं से गंगा जी होकर निकलने वाली थी लेकिन कुछ अपशगुन घटना घटित हो जाने की वजह से गंगा जी ने अपना मार्ग बदल दिया।जब वहां से गंगा जी प्रवाहित होने वाली थी तो उसी समय वहां पर भगवान भोलेनाथ,ब्रह्मा जी आदि कुल पांच मूर्तियां प्रकट हो गई थी।भैरव बाबा की भी मूर्ति निकल रही थी लेकिन जब गंगा जी ने अपना मार्ग बदल दिया तब भैरव बाबा की मूर्ति जमीन से कुछ नीचे ही रह गई।बाद में जब मृदा अपरदन आदि होते-होते धीरे-धीरे मिट्टी हटी तो भैरव बाबा की मूर्ति दिखाई देने लगी।इस स्थान पर भैरव बाबा का भी मंदिर बनाया गया।

महाहर धाम मंदिर गाजीपुर जिले के लिए एक गौरव का अनुभूत कराती है।क्योंकि बाबा विश्वनाथ की नगरी से जुड़ी होने के कारण और महाहर धाम में भोलेनाथ की मंदिर स्थित होने के कारण इसे लहुरी काशी भी कहा जाता है।

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