अनुज श्रीवास्तव/रंजीत सिन्हा
बिहार/पटना। मेडिकल क्षेत्र में आयी आधुनिकता घुटनों के दर्द से जूझ रहे मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है। आज की जीवनशैली की वजह से बुजुर्ग लोगों के साथ साथ 40 वर्ष की उम्र पार करते करते लोगों में यह समस्या होने लगती है। जब बात घुटनों में दर्द के इलाज की हो तो एकमात्र इलाज जोड़ प्रत्यारोपण ही नहीं होता। बल्कि शुरुआती दर्द में तो अनेक विकल्प उपलब्ध होते हैं जिनकी मदद से सामान्य एवं दर्दमुक्त जीवन में वापसी की जा सकती है । वर्तमान में आयी इन्हीं आधुनिकताओं के बारे में जानकारी दे रहे हैं सर्वोदय हाॅस्पिटल, सेक्टर 8,फरीदाबाद के जोड प्रत्यारोपण विभाग के 22,000 से अधिक जोड़ प्रत्यारोपण का अनुभव रखने वाले वरिष्ठ विषेशज्ञ डाॅ. सुजाॅय भट्टाचार्जी।
फिजियोथेरेपि से मिलेगी राहतः
प्रारंभिक जोड़ों के दर्द को कम करने में फिजियोथेरेपि एक अच्छा विकल्प है। इसमें एक प्रशिक्षित फिजियोथेरेपिस्ट की निगरानी में व्यायाम करवाए जाते हैं जिससे जोड़ों की मांसपेशियों को ताकत मिल सकें और जोड़ों में गतिशीलता बेहतर बनाकर दर्द से मुक्ति मिलती है।
पी आर पी है मददगार थेरपिः
इस थेरपि में ब्लड में से प्लाज्मा निकालकर उन्हें एक इंजेक्शन की मदद से घुटने में डाल दिया जाता है जिससे वहां कार्टिलेज और मांसपेशियों की मरम्मत बिना सूजन के हो सकें। इसके बाद घुटनों के दर्द में आराम आ जाता है।
आटोलोगस कार्टिलेज रिम्प्लांटेशनः इस प्रक्रिया में कार्टिलेज के क्षतिग्रस्त हिस्से की मरम्मत की जाती है जिससे चलने के दौरान जोड़ ही हड्डी चिकनी सतह की मदद से बिना किसी दर्द के गतिशील हो सकती है और जोड़ों में दर्द कम हो जाता है।
मोजैकप्लास्टीः यह प्रक्रिया समय के साथ घुटनों की हड्डी में आयी घिसावट और अर्थराईटिस के कारण उत्पन्न दर्द को कम करने के लिए उपयोग में लायी जाती है।
ये सभी प्रक्रिया केवल प्रारंभिक घुटनों के दर्द में आराम दिलाने में ही सक्षम होती है। यदि घुटने में अधिक क्षति हो चुकी है तो रोबोटिक जाॅइन्ट रिप्लेसमेंट एक कारगर उपाय होता है।
रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट :
लिगामेंट अथवा मांसपेशियों को बचाकर जल्द रिकवरी
सटीक प्लेसमेंट से इम्प्लांट की लम्बी उम्र
जाॅइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी के 2 घंटे बाद चलना संभव
अधिक सुरक्षित तकनीक
सर्जरी के बाद फिजियो थेरपि की जरुरत नही