बाबूचक में 24 घंटे के अखंड हरिकीर्तन का भंडारे के साथ समापन
अनुज श्रीवास्तव/रंजीत सिन्हा।
बिहार/फुलवारी शरीफ। कार्तिक मास के एकादशी के अवसर पर बाबूचक में 23 नवम्बर से 24 घंटे के अखंड हरिकीर्तन का भंडारे के साथ समापन हुआ। देवेंद्र राय एवं उनके सुपुत्र सुनील कुमार, सरोज कुमार व वीरेन्द्र कुमार द्वारा भव्य तरीके से इसका आयोजन किया गया। कार्यक्रम के व्यवस्थापक प्रसिद्ध यादव,अर्जुन प्रसाद, अरुण,रामजी राय, प्रदीप कुमार, ललित राय गुड्डू कुमार अतिथियों के स्वागत में तत्पर दिखाई दिए। गांव के ही फुलवारी के जिला पार्षद दीपक मांझी भी पूरे कार्यक्रम के दौरान मौजूद रहे। इस दौरान 24 घण्टे तक रामचरित मानस का पाठ भी हुआ।पाठ करने वाले प्रसिद्ध यादव ने मानस के दो प्रसंगों को दिल को झकझोर देने वाला बताया। पहला प्रसंग श्रवण कुमार द्वारा माता- पिता की अगाध सेवा,फिर राजा दशरथ द्वारा अनजाने में वध। दूसरा प्रसंग माता जानकी को बचाने के लिए गिद्धराज जटायु का अपने प्राण न्योछावर करना। यह प्रसंग पढ़ते समय वहां उपस्थित लोग भाव विह्वल हो गए। गुहराज निषाद, श्रीराम द्वारा माता शबरी के जूठे बेर खाना,भील द्वारा राम का स्वागत और श्रीराम द्वारा भरत को श्रेष्ठ भाई का दर्जा देना जैसे अनेक प्रसंग उल्लेखनीय है।”
वहीं हनुमान जी की सेवा, निष्ठा भी अद्वितीय है। भुअन में नहीं भरत सम भाई ” भाई के प्रति प्रेम का उत्तम प्रसंग लगा। नवधा भक्ति का मर्म बताते हुए श्रीराम ने शबरी को कहा है कि “प्रथम भक्ति संतन के संगा”,नवम भक्ति को आदमी के सरल स्वभाव और छल कपट रहित बताया है। मित्रता के बारे में श्रीराम सुग्रीव से कहते हैं कि जो मित्र के दुख से दुखी नही होता है उसे भारी पातक लगता है।मानस का जो व्यावहारिक ज्ञान है वो ग्रहणीय है। इस अखंड कीर्तन में दर्जनों गांवों बाबूचक, अंडा पकौली, मंझौली, कोठियां, महम्मदपुर,कोरजी,चकमुसा,जमालुद्दीन चक,बसन्तचक, बोधगावां के कीर्तन मंडलियों ने भाग लिया।
इसमें महिला मंडली भी शामिल थी। इसका आयोजन समभाव, शुद्ध चित्त,आपसी प्रेम सद्भाव के लिए किया गया। आज जहां अन्य तरह की दूषित संगति ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। वहीं ऐसे आयोजन से आपसी सहयोग व प्रेम बढ़ता है। कीर्तन समापन के बाद लज़ीज़ व्यंजनों के साथ भंडारे का आयोजन हुआ, जिसे सैंकड़ो लोगों ने ग्रहण किया।